न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद शुरू नहीं होने से किसान अपने धान को औने पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं.
मालूम हो कि पहले 15 नवंबर से ही धान क्रय करने का निर्देश सरकार द्वारा जारी कर दिया जाता था, परंतु इस वर्ष अबतक निर्देश नहीं मिलने से पैक्स में इसकी सुगबुगाहट भी नहीं शुरू हो सकी. ऐसे में बिचौलियों के हाथों उनके कहे दाम पर ही किसान अपना धान बेचना शुरू कर दिए हैं. जिले के शंकरपुर प्रखंड के झरकाहा निवासी हरिनंदन यादव, राजेंद्र प्रसाद यादव, शालीग्राम यादव, सत्यनारायण यादव समेत अन्य किसानों का कहना है कि इस वर्ष खरीफ की अच्छी फसल से किसान काफी खुश थे कि उनके उत्पादन का सही मूल्य मिलेगा, ताकि अपनी बिटिया की शादी और बच्चों की पढ़ाई अच्छी तरह से कर पाएंगे. साथ ही खेतों में रबी फसल की बोआई के लिए खाद बीज खरीद सकें. लगन शुरू हो चुका है, किसी के घर में बेटी की शादी, तो किसी को रबी की बोआई के लिए खाद बीज के लिए पैसे की सख्त जरूरत है. ऐसे में किसान सरकारी खरीद का इंतजार करें या अपना जरूरी काम देखें. जिससे क्षेत्र में धान की कटनी कर अनाज खलिहान तक पहुंचते ही उसे बेचना शुरू कर दिए हैं. किसान सूर्यनारायण यादव, योगेन्द्र यादव, भीमशंकर सिंह, कृष्णदेव सिंह, शशिभूषण यादव समेत कई किसान बताते हैं कि एक तरफ सरकार किसानों की आय दोगुना करने की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ धान बेचने में उन्हें हमेशा जद्दोजहद का सामना करना पड़ रहा है.
ऐसे में किसानों की आय दोगुना करने की बात सिर्फ उनके लिए केवल छलावा ही साबित हो रही है. धान की कटाई खेतों में जोर-शोर से शुरू हो गई है, लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे हैं. सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, परंतु फिलवक्त 1000 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से भी धान की खरीददारी करने वाला कोई नहीं है. ऐसे में मजबूरीवश बिचौलियों के कहे अनुसार दाम पर बेच रहे हैं या खेतों में ही रखना शुरू कर दिए हैं.
इस बावत बीसीओ ओमप्रकाश कुमार ने बताया कि अभी धान बिक्री करने वाले किसान का ऑनलाइन किया जा रहा है. 15 दिसंबर से 31 दिसंबर तक धान की खरीददारी पैक्स के माध्यम से किया जाएगा.

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