
कार्यक्रम में दूर-दूर से आये शिव-शिष्यों ने भाग लिया. भाई राजकुमार जी ने चर्चा के क्रम में कहा कि यह मधेपुरा की धरती है, जहां से साहब श्री हरिंद्रानंद जी ने 9 सितंबर 1982 ई. से लोगों को शिव- शिष्य बनाने की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि हमारे देश के ज्ञानियों ने एवं शास्त्रों ने भगवान शिव को जगत गुरु की उपाधि से नवाजा है. जगतगुरु अर्थात जगत के एक-एक व्यक्ति उनके शिष्य हो सकते हैं. शिव की शिष्यता में कोई भी बंधन पूर्व आरोपित नहीं है.
साहब श्री हरिंद्रानंद जी द्वारा प्रदत 3 सूत्र व्यक्ति का रिश्ता शिव गुरु से करवाता है. प्रथम सूत्र में मन ही मन कहना है कि हे शिव आप मेरे गुरु हैं मैं आपका शिष्य हूं मुझ शिष्य पर दया कीजिए. द्वितीय सत्र में लोगों को समझाना है कि शिव मेरे गुरु हैं और आप के भी हो सकते हैं. तृतीय सूत्र में अपने गुरु शिव को प्रतिदिन नमः शिवाय से प्रणाम निवेदित करना है. यह तीनों सूत्र सिद्ध मंत्रवत है. इन तीनों को करने वाले लोग अनुभव करने लगते हैं कि भगवान शिव उनके गुरु हैं, साथ ही जीवन में आ रही बाधाएं भी दूर हो रही है. भाई राजकुमार जी ने आगे कहा कि 14 वर्षों की कठोर तप के बाद महामानव साहब श्री हरिंद्रानंद जी ने शिव को गुरु के रूप में प्राप्त किया और उन्होंने अपना गुरु जगत को बांट दिया.
कार्यक्रम में पायल एवं घुंघरू के गुरु भजन ने लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया. भाई राजेश, अधिवक्ता शशि यादव, सचिन, प्रमोद कुमार, अवधेश कुमार, बहन रंजना, आशा, मीरा, ललिता आदि ने भी बना अपना मंतव्य दिया.
मौके पर मौजूद पूर्व वार्ड पार्षद सह सामाजिक कार्यकर्ता ध्यानी यादव ने साहब श्री हरिंद्रानंद जी के जन्मदिवस पर वृक्षारोपण किया और कहा कि विश्व पर्यावरण को अनुकूल बनाने के लिए हर व्यक्ति को वृक्षारोपण करना चाहिए एवं उन वृक्षों की देखभाल अपनी संतान की तरह करनी चाहिए. इस मौके पर कई लोगों ने अपने अपने नामों की घोषणा करवा कर शिव की शिष्यता ग्रहण की. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में रंजू कुमारी, रेणु देवी, कैलाश यादव अधिवक्ता, बंदना कुमारी, रानी देवी, फुल कुमारी, किरण, अनीषा भारती, बबलू कुमार, पूनम देवी सहित अन्य मुहल्ले वासियों का सहयोग सराहनीय रहा.

श्री हरिंद्रानंद जी के जन्मदिवस पर एक दिवसीय शिव गुरु परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 31, 2018
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