एक
तरफ जहाँ
सरकार के द्वारा ग्रामीण इलाकों में भी शिक्षा के स्तर को
बढ़ावा देने के लिए तरह-तरह की योजना चलाई जा रही है वहीँ धरातल पर ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिल
रहा है.
मधेपुरा जिले के घैलाढ़
प्रखंड क्षेत्र में शिक्षा विभाग,
बिहार सरकार के
आदेशानुसार पंचायतवार मध्य विद्यालय को उच्च माध्यमिक विद्यालय में उत्क्रमित करने
को 2 वर्ष बीत गए हैं लेकिन उस दिन से विद्यालय
में पठन पाठन और व्यवस्था की सुधि लेने वाले आज तक कोई नहीं हैं.
वहीं
श्रीनगर मध्य विद्यालय एवं कामेश्वर मध्य विद्यालय परमानपुर को उत्क्रमित उच्च
विद्यालय बनाया गया जिसमें सरकार के विभागीय आदेशानुसार उक्त विद्यालय के प्रधान
को विद्यालय से 8
वीं उत्तीर्ण
छात्र-छात्राओं का टीसी सर्टिफिकेट को रोक उसी विद्यालय में 9वीं
क्लास में एडमिशन लेने का आदेश भी जारी कर दिया गया था. वहीं विद्यालय के प्रधान बच्चों
का दाखिला भी करते जा रहे हैं लेकिन विद्यालय में अब तक 9 वीं
एवं 10 वीं को पढ़ाने वाले शिक्षकों की नियुक्ति
अभी तक नहीं की गयी है. छात्र-छात्राएं तो विद्यालय पहुंच रहे हैं लेकिन शिक्षा के
अभाव में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इन छात्र छात्राओं का भविष्य आगे चलकर क्या
होगा?
छात्र-छात्राओं
का कहना है कि विद्यालय में शिक्षक की कमी के कारण मध्य विद्यालय के शिक्षक हम
लोगों को पढ़ाने में असमर्थता जाहिर करते हैं. सिर्फ वे लोग विद्यालय आने की बात
करते हैं. विद्यालय में हम लोगों के लिए अलग में क्लास के लिए शिक्षक उपलब्ध नहीं
हैं. वहीं अभिभावकों का कहना है कि 8
वीं पास करने के बाद
बच्चों का सर्टिफिकेट विद्यालय प्रधान द्वारा नहीं दिया जा रहा है. इस कारण बाहर उच्च विद्यालय में भी
बच्चों का नामांकन नहीं हो रहा है. इस से बच्चों का भविष्य अंधकार की ओर बढ़ रहा
है.
वहीं
कामेश्वर मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रदीप रजक ने बताया कि विभाग के आदेश
अनुसार बच्चों का दाखिला इस विद्यालय में लिया जा रहा है. जब तक हाई-स्कूल के
शिक्षकों की बहाली नहीं हो जाती है तब तक बच्चों को पढ़ाने में परेशानी होगी ही. वहीं
B.Ed ट्रेन शिक्षकों को 9 वीं
कक्षा के वर्ग का संचालन करना है जबकि उन्हें पूर्व से ही मध्य विद्यालय के
शिक्षकों के द्वारा भी वर्ग संचालन में परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि कई बार
इसकी सूचना वरीय पदाधिकारी को हमलोग दे चुके हैं लेकिन वे लोग कहते हैं कि शिक्षक
आने के बाद सब समस्याएं सामान्य हो
जायेंगी.
ये तो है शिक्षा का हाल: बिना शिक्षक पढ़ रहे हैं बच्चे, क्या होगा इनका भविष्य?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 23, 2017
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