ताकि बेटी बोझ न लगे: बिना दहेज़ की शादी में थानाध्यक्ष और बीडीओ ने की शिरकत


मधेपुरा जिला के चौसा पश्चिमी पंचायत में हुई दहेज़ मुक्त शादी, जिसमें चौसा थाना अध्य्क्ष सुमन कुमार सिंह तथा प्रखंड विकास पदाधिकारी इरफ़ान अकबर ने शिरकत की.


मालूम हो कि बिहार सरकार ने जिस तरह शराब मुक्त बिहार बनाने में कई कानून लागू किए हैं, उसी तर्ज पर बिहार में बाल विवाह तथा दहेज़ मुक्त समाज बनाने के लिए नए-नए कानून लागू कर रही है तथा लोगों को जागरुक करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

बिहार सरकार के इसी सपने को चौसा प्रखंड फुलौत निवासी अब्दुल हन्नान ने चौसा पश्चिमी पंचायत के वार्ड न0 6 निवासी मोहम्मद आमिर उद्दीन की पुत्री शाहिना खातुन से शादी कर साकार किया । वैसे तो इस्लाम धर्म में पहले से भी दहेज़ लेना जुर्म है, लेकिन फिर लोग अच्छी बातों को मानते नहीं हैं। कहते हैं में दहेज़ नहीं मागता हूँ वह अपनी बेटी को खाली नहीं न भेजेंगे। मतलब घुमा फिरा का मांग की जाती है और पूरा नहीं होने पर न जाने कितनी बच्ची के घर उजड़ जाते हैं। 

लेकिन आज चौसा प्रखंड के फुलौत निवासी अब्दुल मन्नान ने यह साबित कर दिया कि सबसे बड़ा दहेज़ दुल्हन ही है। इस शादी के मौके पर चौसा प्रखंड विकास पदाधिकारी इरफ़ान अकबर तथा थाना अध्यक्ष सुमन कुमार सिंह ने शिरकत किया. श्री अकबर ने कहा की इस तरह की शादी से समाज में बेटी किसी को बोझ नहीं लगेगी । गरीब के घर में जब लड़की पैदा होती है तो उस परिवार को चिन्ता सताने लगती है। 

थाना अध्यक्ष सुमन कुमार सिंह ने कहा कि आज इस शादी ने सामाज को यह पैगाम दिया है कि  बिना दहेज के भी बेटी का घर बस सकता है। वही फुलौत के मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद रिंकू ने कहा कि मुस्लिम समाज में ऐसे भी दहेज लेना हराम है और हम लोग अपने समाज को दहेज मुक्त समाज बनाएंगे और जिस शादी में दहेज की बात होगी वहां हम युवा शिरकत नहीं करेंगे। इसी तरह की शादी लौआलगान पूर्वी पंचायत के वार्ड न0 7 निवासी मोहम्मद मोईन उद्दीन के पुत्र मोहम्मद जीसान की शादी कटिहार जिला के लाभ नया टोला निवासी हाफिज मोहम्मद जहूर के पुत्री के साथ हुई।
ताकि बेटी बोझ न लगे: बिना दहेज़ की शादी में थानाध्यक्ष और बीडीओ ने की शिरकत ताकि बेटी बोझ न लगे: बिना दहेज़ की शादी में थानाध्यक्ष और बीडीओ ने की शिरकत  Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 30, 2017 Rating: 5
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