
लोगों के बीच त्राहिमाम मच गया है। प्रभावित लोगों के बीच उपलब्ध
करायी जा रही सरकारी मुहैया नाकाफी साबित हो रहा है। ऐसे में पीड़ित परिवारों के
बीच प्रशासन के प्रति आक्रोश दिख रहा है।
कुनौली में काफी
आक्रोशित हैं पीड़ित: गौरतलब है कि तिलयुगा,
खारो और जीता नदी के उफान और सुरक्षा तटबंध के टूटने के बाद
इलाके के लोगों का संमर्क जिला मुख्यालय से टूट चुका है। वहीं इंडो- नेपाल का
आवागमन भी अवरूद्ध हो चुका है। सैकड़ों परिवार के घरों में कोसी और उफनाई नदी का
पानी प्रवेश कर गया है। पीड़ित लोग अपने परिवार के साथ उंचे स्थानों पर कैंप कर रहे
हैं। पीड़ित परिवार से मधेपुरा टाइम्स ने बात कर उनका दर्द जानना चाहा तो लोगों में
प्रशासन के प्रति काफी गुस्सा था। पीड़ितों ने बताया कि अब तक उनलोगों को प्रशासन
की तरफ से किसी प्रकार की मदद नहीं मिली है। कैमरे को देख लोगों ने हंगामा करना
शुरू कर दिया।
सुरसर नदी के चपेट
में है छातापुर: जिले के पूर्वी इलाके में अवस्थित छातापुर भी बाढ की चपेट में है।
सुरसर नदी एवं गेड़ा धार के उफनाने एवं नदी
के तटबंध में कई जगहों पर टूटने से
प्रखंड के 17 पंचायत के दर्जनों गांव बाढ से प्रभावित है। इलाके के एक दर्जन ग्रामीण पक्की
सड़क ध्वस्त हो चुका है।वहीं दो दर्जन से अधिक कच्ची सड़क एवं ईंट सोलिंग पर नदी की
तेज धारा बह रही है। जिस कारण हजारों लोगों के बीच आवागमन की समस्या उत्पन्न हो गई
है।

नकदी फसल हुई बर्बाद:
छातापुर इलाके में पटसन की खेती की वृहत पैमाने पर किसान करते आ रहे है। एकाएक सुरसर के
उफान से किसानों का पाट नदी के तेज धारा में बह गये हैं। वहीं हजारों एकड़ में लगी
धान फसल बर्बाद हो चुका है। पीड़ित किसान बताते हैं कि नकदी फसल के बर्बाद होने से उनलोगों का कमर ही टूट
गया है।
कहते हैं अधिकारी: इस
बाबत छातापुर अंचलाधिकारी लाला प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि छातापुर बाढ
प्रभावित क्षेत्र में नहीं आता है। जिस
कारण यहां सरकारी नाव की व्यवस्था नहीं की गई है। अपने स्तर से इलाके में हुई
क्षति का आकलन किया जा रहा है। जिसे उच्चाधिकारी को प्रतिवेदित किया जायेगा।
(देखिए वीडीओ में बाढ़ का हाल, यहाँ क्लिक करें.)
सुपौल के कई गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूटा, लोगों में आक्रोश
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 14, 2017
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