कुसहा त्रासदी वर्ष 2008 में ध्वस्त हुए रेल लाइन पर पुन: रेल परिचालन चालू करने के लिए 2009 में उद्भव- एक प्रयास ने विभिन्न राजनैतिक एवं गैर राजनीतिक संगठनों को संगठित करके धरना एवं प्रदर्शन के माध्यम से रेल प्रशासन को इस झेत्र के लोगों को हो रही परेशानी से अवगत कराया जिसके बाद समय-समय पर धरना एवं प्रदर्शन चलता रहा.
आन्दोलन को और उग्र और धारदार बनाने के लिए वर्ष 2011 में सर्व सम्मति से रेल संघर्ष समिति मुरलीगंज का गठन किया गया और निर्णायक आन्दोलन शुरू की गई जिसमें धरना एवं प्रदर्शन के साथ ही दो-दो बार आमरण अनशन किया गया. जनहित के लिए अधिकारियों पर दवाब बनाने और रेल प्रशासन की आँखें खोलने में कामयाब साबित हुआ रेल संघर्ष समिति और इसी रेल संघर्ष समिति के आन्दोलन के प्रतिफल के स्वरूप पहले मुरलीगंज तक फिर बनमनखी तक और अब जाकर पूर्णियां से रेल सेवा चालू हो पाई.
रेल संघर्ष समिति में मुख्य रूप से विजय यादव, प्रशांत यादव, विकाश आनंद, डिम्पल पासवान, श्याम आनंद, रामचंन्द्र राय, उपेन्द्र आनंद, रोहन मिश्र के साथ अविभावक के रूप में प्रो. नागेन्द्र यादव, रामजी साह, ब्रह्मानंद जयसवाल, शिव प्रकाश गाडोदिया, प्रभात कुमार सहित शहर के व्यवसायी एवं नगर वासियों का भरपूर समर्थन मिलता रहा.
आन्दोलन को और उग्र और धारदार बनाने के लिए वर्ष 2011 में सर्व सम्मति से रेल संघर्ष समिति मुरलीगंज का गठन किया गया और निर्णायक आन्दोलन शुरू की गई जिसमें धरना एवं प्रदर्शन के साथ ही दो-दो बार आमरण अनशन किया गया. जनहित के लिए अधिकारियों पर दवाब बनाने और रेल प्रशासन की आँखें खोलने में कामयाब साबित हुआ रेल संघर्ष समिति और इसी रेल संघर्ष समिति के आन्दोलन के प्रतिफल के स्वरूप पहले मुरलीगंज तक फिर बनमनखी तक और अब जाकर पूर्णियां से रेल सेवा चालू हो पाई.
रेल संघर्ष समिति में मुख्य रूप से विजय यादव, प्रशांत यादव, विकाश आनंद, डिम्पल पासवान, श्याम आनंद, रामचंन्द्र राय, उपेन्द्र आनंद, रोहन मिश्र के साथ अविभावक के रूप में प्रो. नागेन्द्र यादव, रामजी साह, ब्रह्मानंद जयसवाल, शिव प्रकाश गाडोदिया, प्रभात कुमार सहित शहर के व्यवसायी एवं नगर वासियों का भरपूर समर्थन मिलता रहा.
मुरलीगंज रेल संघर्ष समिति के संघर्ष का नतीजा है फिर से पूर्णियां-सहरसा रेल परिचालन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 09, 2016
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