अपना काम बनता, भांड में जाए जनता: ईंजीनियर साहब, आपको हजारों लोग रोज गालियाँ दे रहे हैं !

|वि० सं०|12 अक्टूबर 2014|
सड़कें तो बनते आपने बहुत सी देखी होंगी और घटिया सड़कें बनते उनमें से ज्यादा देखी होंगी, पर मधेपुरा में ताल ठोककर बनाया ये सड़क चंद महीने में ही जानलेवा बन गया है. पर माफ कीजिए, आपके जान की कीमत यहाँ कुछ भी नहीं, क्योंकि दुर्घटना में हुई मौत की कीमत सिर्फ चंद सेकेण्ड का अफ़सोस ही होती  है.
      मधेपुरा जिला मुख्यालय में मछली बाजार से लेकर मेन रोड तक जानेवाली सड़क जिसे लोग स्टेट बैंक रोड भी कहते हैं को जितना घटिया कहें, उतना कम है. एक तो सड़क की ढलाई घटिया, फिर ढलाई के बगल मे मिट्टी डालने के नाम पर मजाक कर दिया गया जिसकी वजह से चारपहिया दो वाहनों को एक साथ चलने के दौरान एक को नीचे उतरना पड़ता है जो दुर्घटना को आमंत्रण देता है.
      पर इस सड़क का सबसे डेंजर प्वाइंट है जहाँ सड़क मेन रोड से मिलती है. कई महीनों से शायद की कोई ऐसा दिन रहा होगा जिस दिन छोटी दुर्घटना यहाँ न हुई हो. दरअसल स्टेट बैंक रोड जहाँ मेन रोड से मिलती है वहां संवेदक ने करीब चार फीट का गैप छोड़ दिया. दोनों सड़कों के बीच गड्ढे की गहराई बढती चली गई और अब ये दुर्घटना मोड़ का रूप ले चुकी है. चाहे आप स्टेट बैंक रोड से मेन रोड मे घुसने वाले हों या फिर मेन रोड से स्टेट बैंक रोड में, इस मोड़ पर आकर एक बार आप ठिठक जरूर जायेंगे और सोचेंगे कि किधर से गुजरें कि गिरें नहीं. रोज गुजरने वाले हजारों लोग सड़क बनाने वाले को गालियाँ और बद्दुआ देते हैं. ऐसे मे नगर परिषद या प्रशासन को चाहिए कि वे इस खतरनाक मोड़ की मरम्मत करवा दें ताकि आम लोगों को राहत मिल सके.
किसने बनाया इस खतरनाक सड़क को?: 10,14,994 रूपये की लागत से बना यह सड़क मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के अंतर्गत बना है और इसे बनाया है संवेदक रविशेखर कुमार सिंह, कार्यपालक अभियंता ने. योजना का नाम है- नगर परिषद् मधेपुरा अंतर्गत सब्जी मंडी से मछली मंडी तक पीसीसी ढलाई कार्य. कार्य से सम्बंधित बोर्ड मछली मार्केट के बगल मे हैं जिस पर कार्य प्रारम्भ की तिथि अंकित नहीं है और कार्य समाप्ति की अवधि तीन महीना लिखा हुआ है. चंद महीने पहले बने इस सड़क को बनाने के समय में आसपास के लोगों का आरोप था कि भले दिन भर बांस लगाकर आवागमन बंद कर दिया जाता रहा हो, पर अधिकाँश काम रात में ही किये गए ताकि लोग घटिया काम पर हल्ला न कर सके. वैसे सड़क के बनते-बनते कई आसपास के लोगों ने कई बार हंगामा भी किया था. पर इंजीनियर साहब ने किसी तरह काम करा ही डाली और गटक लिए पूरे दस लाख.

क्या कहते हैं मुख्य पार्षद? मधेपुरा नगर परिषद् के मुख्य पार्षद विशाल कुमार बबलू बताते हैं कि हुडा (शहरी विकास योजना) के तहत बना यह सड़क उनके चेयरमैन बनने से पहले पास हुआ था और सड़क मानक के अनुसार नहीं बना. सड़क की स्थिति काफी खतरनाक है और इस सम्बन्ध मे उन्होंने अधिकारियों से बात भी की, पर नतीजा कुछ नहीं निकला. मुख्य पार्षद यहाँ तक कहते हैं कि संवेदक पर नोटिश की जानी चाहिए और घटिया सड़क बनाने के लिए उनपर कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए. ये आम जनता के हित का मुद्दा है.

जो भी हो, इंजीनियर साहब ने अपना उल्लू सीधा कर ही डाला है और यहाँ उनपर यह कहावत फिट बैठती है कि-
 अपना काम बनता, भांड में जाए जनता.
अपना काम बनता, भांड में जाए जनता: ईंजीनियर साहब, आपको हजारों लोग रोज गालियाँ दे रहे हैं ! अपना काम बनता, भांड में जाए जनता: ईंजीनियर साहब, आपको हजारों लोग रोज गालियाँ दे रहे हैं ! Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 12, 2014 Rating: 5

1 comment:

  1. NA JEE YAHI TO HAI MADHEPURA KI PAHACHAN

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