दुष्कर्म रोकने में बुजुर्ग और अभिभावक प्रेरक बनें: डा० शान्ति यादव

|वि० सं०|30 अप्रैल 2013|
एक तरफ जहाँ देश भर की बच्चियां दहशत में आ गई हैं वहीँ अभिभावक और बुजुर्गों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. कैसे रुके बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटना. बहस जारी है और मधेपुरा के बुद्धिजीवी भी अपनी-अपनी राय मधेपुरा टाइम्स के पास रख रहे हैं.
      प्रसिद्ध साहित्यकार और एसएनपीएम हाई स्कूल की प्राचार्य डा० शान्ति यादव का मानना है कि मानसिकता बदलने से ऐसी घटनाओं में वृद्धि हुई है. इसे रोकने के लिए किशोरों और अभिभावकों की मानसिकता को बदलना होगा. बच्चियों को अब इस बात का प्रशिक्षण देना जरूरी है कि वो गंदे आदमियों की पहचान पहले से कर लें. ऐसा करने से वो पहले ही एलर्ट हो सकेगी और अपने बचाव का रास्ता ढूंढ सकती हैं. अभिभावक और बुजुर्ग इस काम में प्रेरक बन कर सामने आवें. गाँव तक के प्रतिनिधि को चाहिए कि वो अभिभावकों को जागृत करें. नगर के प्रबुद्ध लोग इसे एक अभियान की तरह लें. नैतिक शिक्षा आज सबको देना अत्यावश्यक हो गया है.
      पुलिस और प्रशासन को भी चाहिए कि वो दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएं ताकि कोई भी इस तरह का काम करने से डरे. समाज में यदि सभी समझदार लोग अपनी-अपनी भूमिका का निर्वाह करें तो थोड़ा वक्त भले लगेगा परन्तु ऐसी घटनाओं पर लगाम लगने की सम्भावना व्यक्त की जा सकती है.
दुष्कर्म रोकने में बुजुर्ग और अभिभावक प्रेरक बनें: डा० शान्ति यादव दुष्कर्म रोकने में बुजुर्ग और अभिभावक प्रेरक बनें: डा० शान्ति यादव Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 30, 2013 Rating: 5

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