जब जातिवाद की बात होती है तो बिहार का नाम जरुर आता है, कारण क्या है इसके लिए हमें इमानदार होने की जरुरत है |
यह बात सच है कि लालू यादव ने कभी “भूराबाल (भू-मिहार रा-जपूत बा-भन ला-ला) साफ करो” का नारा दिया था, जिसे सामाजिक और मानवीय दृष्टिकोण से स्वीकारा नहीं जा सकता। इसे कोई भी सभ्य समाज गलत ही कहेगा। लेकिन उस सच्चाई को भी नहीं नकारा जा सकता, जब नारा दिया गया था कि “आरक्षण कहां से आई, कर्पूरी की मां बीआई”। सच्चाई के दोनों पहलुओं को देखना चाहिए। बिहार के जातीय सच को जानने के लिए आपको थोड़ा पीछे जाना ही चाहिए ....
। श्री बाबू की सरकार बनी, 15 सालों की सरकार में एक ही समाज के लोगों को आर्थिक, राजनितिक, सामाजिक पहचान मिली। डॉ जगन्नाथ मिश्र की सरकार बनी। एक छोटे से लम्हे का जिक्र करना चाहता हूं। मिथिला यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई। क्या कारण है कि एक ही समाज के लोग चपरासी से लेकर शीर्ष कुर्सी तक विराजमान हुए? भगवत झा आजाद की सरकार बनी। उनके काल में इंटरमीडिएट की स्थापना हुई। इसमें
90% एक समाज के लोग चपरासी से लेकर शीर्ष कुर्सी तक स्थापित हुए। सत्येंद्र बाबू मुख्यमंत्री बने। मगध यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई। अधिकांश पदों पर एक ही समाज के लोग स्थापित हुए। इन सरकारों का इतिहास उठा कर देख लें! जितने भी आयोग बने, सबके सब कमजोर, वंचितों, भूमिहीनों के विरोध में बने। इनका जीता-जागता उदाहरण आज भी इन सभी जगहों पर मिलता है। इतिहास के पन्नों में आजादी के बाद के सभी सरकारों के निर्णय आज भी लिखित में सर्वसुलभ हैं। सभ्य समाज के लोगों से मैं कहना चाहता हूं कि बिहार की जातीय व्यवस्था को जानने के लिए नक्सलबाड़ी आंदोलन के साथ-साथ जमींदारी व्यवस्था को भी जानना होगा। मैं ज्यादा अतीत में नहीं जाना चाहता हूं, लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि बिहार में नक्सली आंदोलन मूल रूप से भूमिसुधार और सामाजिक शोषण के खिलाफ था। यह कहना कि जाति व्यवस्था का जन्म माले, माओवादी या लालू यादव के आने के बाद हुआ, बिल्कुल ही गलत है।
इसके आगे बहुत सी बाते है मिलते रहेगे ,लिखते रहेगे ,सोचिये समझिये बस और क्या ?
(ये लेखक के निजी विचार हैं)
यह बात सच है कि लालू यादव ने कभी “भूराबाल (भू-मिहार रा-जपूत बा-भन ला-ला) साफ करो” का नारा दिया था, जिसे सामाजिक और मानवीय दृष्टिकोण से स्वीकारा नहीं जा सकता। इसे कोई भी सभ्य समाज गलत ही कहेगा। लेकिन उस सच्चाई को भी नहीं नकारा जा सकता, जब नारा दिया गया था कि “आरक्षण कहां से आई, कर्पूरी की मां बीआई”। सच्चाई के दोनों पहलुओं को देखना चाहिए। बिहार के जातीय सच को जानने के लिए आपको थोड़ा पीछे जाना ही चाहिए ....
। श्री बाबू की सरकार बनी, 15 सालों की सरकार में एक ही समाज के लोगों को आर्थिक, राजनितिक, सामाजिक पहचान मिली। डॉ जगन्नाथ मिश्र की सरकार बनी। एक छोटे से लम्हे का जिक्र करना चाहता हूं। मिथिला यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई। क्या कारण है कि एक ही समाज के लोग चपरासी से लेकर शीर्ष कुर्सी तक विराजमान हुए? भगवत झा आजाद की सरकार बनी। उनके काल में इंटरमीडिएट की स्थापना हुई। इसमें

इसके आगे बहुत सी बाते है मिलते रहेगे ,लिखते रहेगे ,सोचिये समझिये बस और क्या ?
(ये लेखक के निजी विचार हैं)
रंजन यादव
पटना
(लेखक का ब्लॉग है: http://ranjanwa.blogspot.in/)
झूठ मत बोलो बिहार में जातिवाद अब हुआ है
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 05, 2013
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agar kisi ki taraf ek ungli uthao toh baki ki char apke taraf uth jati hai..maje ki bat ye hai ki writer ne laloo aur congress ke leaders ke bare mein jikra kiya hai joki past tense ban gaye hain ..lekin abhi ke netaon(yani Nitish ) ka jikra nahi kiya hai
ReplyDeleteबाते पुराणी नहीं होती है ,नितीश को सब कुछ ठीक करके मिला है
ReplyDeleteबाते पुराणी नहीं होती है ,नितीश को सब कुछ ठीक करके मिला है
ReplyDeleteबाते पुराणी नहीं होती है ,नितीश को सब कुछ ठीक करके मिला है
ReplyDeleteLet's forget what is past...
ReplyDeleteAnd keep peace with time and obviously the world...
In short, let's grow together!!!