डीएम कृष्णैया हत्याकांड में सजा काट रहे पूर्व
सांसद आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद अपने पिता के पक्ष में इन दिनों कोसी के
क्षेत्र में लोगों का समर्थन जुटाने निकले हैं. जगह-जगह सभाओं में उन्हें सुनने को
बड़ी भीड़ उमड़ रही है. 21 वर्षीय चेतन आनंद की मैट्रिक और प्लस टू की पढाई देहरादून
के वेलहम ब्यॉय स्कूल से हुई है जहाँ संजय गांधी, राजीव गांधी, मणिशंकर अय्यर,
नवीन पटनायक जैसी भारत की बड़ी हस्तियों ने शिक्षा पाई है. वर्तमान में सिम्बायोसिस
पुणे से बैचलर ऑफ इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रहे चेतन पिता के समर्थन में
सभाएं कर रहे हैं तो कोसी के इलाके में लोग उनकी बातों को गौर से सुन भी रहे हैं.
मधेपुरा
टाइम्स से बातचीत में चेतन आनंद बेबाकी के साथ कहते हैं कि उनके पिता आनंद मोहन को
एक राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार बनाया गया है. एक ही तरह के आरोप में किसी को बरी
कर देना और किसी को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा सुना देना षड्यंत्र नहीं तो
और क्या है? फैसले पर लोग अचंभित है. पर चेतन आनंद को इस बार उच्चतम न्यायालय से
उम्मीद है. वे कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में दायर पुनर्विचार याचिका में इस बार
उन्हें न्याय की उम्मीद है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे से चेतन साफ़ कहते हैं
कि नीतीश अंकल पहले उन्हें अच्छे लगते थे. नीतीश कुमार जब जार्ज फर्नांडिस के साथ
उनके पापा के पास बैठे थे तो उन्होंने कहा था कि वे निर्दोष है. पर सत्ता में आने
के बाद उनका रंग बदल गया. आज बिहार में अपराध बढ़े हैं और अनुशासन नाम की चीज बिहार
में नहीं रह गयी है.
पेंटिंग
में उत्तराखंड के राज्यपाल से पुरस्कृत चेतन राजनीति में आने के सवाल पर कहते है
अभी उनका इस तरह का कोई इरादा नहीं है. वे सभाओं में सिर्फ पापा के समर्थन में जा
रहे हैं और न्याय मांग रहे हैं. चेतन कहते हैं कि वैसे भी राजनीति इतनी गंदी जगह
बन चुकी है कि इसमें उनकी अभी कोई रुचि नहीं है. अपने पिता आनंद मोहन का उदहारण
देते हुए वे कहते हैं कि अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले को आज षड्यंत्र का शिकार बनाकर
जेल में डाल दिया जाता है. हालांकि राजनीति में अपने आने की सम्भावना को सिरे से
खारिज नहीं करते हैं और कहते हैं कि बाद में यदि उनके पिता और उनके मित्र यदि इस
तरह का कोई फैसला लेते हैं तो वो राजनीति में आने पर विचार कर सकते हैं.
(मधेपुरा टाइम्स ब्यूरो)
सत्ता में आते ही नीतीश अंकल का रंग बदल गया: चेतन आनंद
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 17, 2012
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