तीसरे वर्ष में भी नही बन सका बलुआहा पुल:परेशान है इलाका

रूद्र नारायण यादव/२५ अप्रैल २०११
कोशी का एक महत्वपूर्ण पुल-बलुआहा पुल. मुरलीगंज के पास स्थित ये एन-एच १०७ पर बना ये पुल मधेपुरा को पूर्णियां, कटिहार आदि से जोड़ने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम था. इसकी स्थिति सरकार के ढुलमुल रवैये के कारण वैसी ही है जैसा कुशहा त्रासदी के बाद था.हाँ,सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था तो की, पर काफी कमजोर साबित हुई सारी व्यवस्थाएं.
      डुमरी पुल के क्षतिग्रस्त होने से इस मार्ग पर इलाके का सारा बोझ आ पड़ा.सरकार ने शुरुआती दौर में यातायात पुनर्बहाली के तहत नावों की व्यवस्था की थी,कुछ दिनों के बाद बना एक पीपा पुल. पीपा पुल से बड़ी सवारियों का गुजरना अनेक दुर्घटनाओं को दावत देता चला गया.कुछ दिनों के बाद ही लगा कि पीपा पुल की आयु समाप्त हो रही है.बीच-बीच में ये पुल क्षतिग्रस्त होता रहा और बढ़ती गयी इलाके के लोगों की मुश्किलें.फिर सरकार में बगल के खेतों से होकर एक वैकल्पिक रास्ता तैयार किया.ध्यान देने वाली बात ये रही कि इस दौरान स्थायी पुल या समाधान के बारे में सोचने व करने की आवश्यकता नहीं महसूस की गयी.बहुत से लोगों का मानना है कि बाढ़-राहत के नाम पर इस इलाके में अरबों बहाए गए.इलाके के सैकड़ों लोग सरकारी राशि के लूट में हमसफ़र बने.पर इस इलाके में बलुआहा, बेंगा समेत अनगिनत छोटे-बड़े पुल-पुलिया अभी भी मरम्मत हेतु सरकारी उपेक्षा का गवाह बना हुआ है. ढाई साल से अधिक बीत चुके हैं.अभी तक कोई स्थायी समाधान इलाके के लोगों को मिलता नजर नही आ रहा है.
           मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ,जदयू अध्यक्ष शरद,मंत्री नरेंद्र यादव व रेणु कुमारी आदि ने भी समय-समय पर घोषणा कर लोगों को उम्मीदें दिखाई कि जल्द ही पुल बन जाएगा.पर नतीजा ढाक के तीन पात. इलाके के लोगों में धीरे-धीरे आक्रोश बढता नजर आ रहा है.बरसात आने को है और सम्भावना कम ही दीख पड़ती है कि बरसात से पहले काम शुरू हो सकेगा.ऐसे में इस बात की आशंका ज्यादा है कि इस बरसात ने वैकल्पिक रास्ता भी बंद हो जाएगा,क्योंकि लोहे का बना पीपा पुल अब बड़ी सवारियों के लिए किसी काम का नही रहा. खेतों से गुजरता हुआ रास्ता कभी भी बरसात में बाधित हो सकता है.
   सारी परिस्थितियां दर्शाती है कि बिहार सरकार इस इलाके में लोगों के आवागमन से सम्बंधित मुश्किलों को गंभीरता से नही ले रही है.मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व को सराहने वाले लोगों में भी इस पुल को लेकर मायूसी देखी जा सकती है.
तीसरे वर्ष में भी नही बन सका बलुआहा पुल:परेशान है इलाका तीसरे वर्ष में भी नही बन सका बलुआहा पुल:परेशान है इलाका Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 25, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. Ak-do barash aur intezar kar hi lena chahiye kya pata fir se baadh aa jaye.Ye janta hai sab kuchh sahan kar sakti hai >>>pool nahi ho to chalega,road nahi ho to chalega, bijli nahi to bhi chalega.Kuchh ho na ho bas sarkar honi chahiye.

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