जिले भर में तो मुहर्रम का उत्साह आज चरम पर रहा ही, पर मधेपुरा
जिला मुख्यालय में मुहर्रम का उत्साह युवकों पर जम कर बोला. सभी चौदह अखाड़ों के ताजिये
मधेपुरा प्रखंड कार्यालय के पास के मैदान में जब जमा हुआ तो करतब दिखाने में युवक क्या
बूढ़े, युवती और वृद्धा भी सामने आ गई. देखने वालों ने दांतों तले अंगुलियां दबा लीं
तो आयोजकों को भीड़ नियंत्रण में कुछ परेशानी का भी सामना करना पड़ा. पर कुल मिलाकर मधेपुरा
का मुहर्रम शांतिपूर्वक रहा और पुलिस प्रशासन भी इस मौके पर चुस्त दिखी. मुहर्रम का
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जानें और कुछ मुहर्रम के बारे में: इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों
का एक प्रमुख त्यौहार है। इस माह की बहुत विशेषता और महत्व है। सन् 680 में इसी माह में कर्बला नामक स्थान मे एक धर्म युद्ध हुआ था,
जो पैगम्बर हजरत मुहम्म्द स० के नाती तथा यजीद
(पुत्र माविया पुत्र अबुसुफियान पुत्र उमेय्या)के बीच हुआ। इस धर्म युद्ध में वास्तविक जीत हज़रत
इमाम हुसैन अ० की हुई। पर जाहिरी तौर पर यजीद के कमांडर ने हज़रत इमाम हुसैन अ० और
उनके सभी 72 साथियों को शहीद
कर दिया था। जिसमें उनके छः महीने की उम्र के पुत्र हज़रत
अली असग़र भी शामिल थे। और
तभी से तमाम दुनिया के ना सिर्फ़ मुसलमान बल्कि दूसरी क़ौमों के लोग भी इस महीने में इमाम
हुसैन और उनके साथियों की शहादत का ग़म मनाकर उनकी याद करते हैं। आशूरे के दिन यानी 10
मुहर्रम को एक ऐसी घटना हुई थी,
जिसका विश्व इतिहास में महत्वपूर्ण
स्थान है। इराक स्थित कर्बला में हुई यह घटना दरअसल सत्य के लिए जान
न्योछावर कर देने की जिंदा मिसाल है। इस घटना में हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के नवासे (नाती)
हजरत हुसैन को शहीद कर दिया गया था। कर्बला की घटना अपने आप में बड़ी विभत्स और निंदनीय है। बुजुर्ग कहते
हैं कि इसे याद करते हुए भी हमें हजरत मुहम्मद (सल्ल.) का
तरीका अपनाना चाहिए। (स्रोत: विकीपीडिया)
[News Title: Muharram in Madhepura was celebrated peacefully and amicably]
मधेपुरा में महिलाओं ने भी दिखाए मुहर्रम में करतब (देखें वीडियो)
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 15, 2013
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