बच्चियों के साथ बढ़ता दुष्कर्म: कारण और निदान पर एक नजर (भाग-1)

|रूद्र ना० यादव| राकेश सिंह |29 अप्रैल 2013|
हाल के दिनीं में छोटी बच्चियों के साथ बढ़ती दुष्कर्म की घटनाओं से जहाँ पूरा देश शर्मसार हुआ है वहीं बुद्धिजीवियों की चिंता भी बढ़ी है कि आखिर क्यों हो रही है इस तरह की घटनाएं और कैसे इन्हें रोका जा सकता है ?
      जानकारों के मुताबिक मानसिक रूप से दिवालिया हुए रेपिस्ट मानसिकता के ये दुष्कर्मी बच्चियों को सेफ मानने लगे हैं क्योंकि उसे आसानी से अपने कब्जे में किया जा सकता है. बच्चियों को आसानी के कुछ प्रलोभन देकर बहलाया-फुसलाया जा सकता है.
      दुष्कर्मी मानसिकता के अधिकाँश युवक लो प्रोफाइल के होते हैं और इनमें से अधिकांश मजदूर किस्म के छोटी-मोटी नौकरी करने वाले होते हैं. इनमे से लगभग सभी शराब-सिगरेट-गुटका-गांजा या अन्य नशे के पदार्थों के आदी होते हैं.
      इनके टारगेट में भी अक्सर गरीब परिवार की बच्चियां होती हैं जिनके साथ दुष्कर्म की बात सोचते समय इनके दिमाग में यह बात भी रहती है कि मामले को बाद में किसी तरीके से रफा-दफा करवा लिया जाएगा.
      इनकी नजर में बच्चियों के साथ दुष्कर्म आसान होता है चूंकि बच्ची शारीरिक रूप से कोमल होने के कारण कड़ा प्रतिरोध नहीं कर पाती है और यदि दुष्कर्मियों को ज्यादा खतरा महसूस होता है तो इनकी हत्या भी ये आसानी से कर सकते हैं.
      महानगरों में रहने वाले रेपिस्ट मानसिकता के युवक हीन भावना के शिकार होते हैं. महानगर की चकाचौंध वाली जिंदगी में खुद को हाशिए पर पाकर इनकी मनोवृत्ति में भारी गिरावट उत्पन्न हो जाती है. इस तरह की मानसिकता के लोग जहाँ भी जाते हैं वहां सामजिक रिश्ता बनाकर कुकृत्य के मौके की तलाश में रहते हैं. ऐसे लोग निकट संबंधी के साथ भी मौके की तलाश में रहते हैं. (क्रमश:)
बच्चियों के साथ बढ़ता दुष्कर्म: कारण और निदान पर एक नजर (भाग-1) बच्चियों के साथ बढ़ता दुष्कर्म: कारण और निदान पर एक नजर (भाग-1) Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 29, 2013 Rating: 5

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