इसलिए नदी, तालाब के बजाय अपने घर पर ही अर्घ्यं डालें. निकाय व प्रखंड प्रशासन द्वारा चिह्नित तालाब में ही लोगों को पूजन कार्य की अनुमति मिलेगी.
घाट के आसपास खाद्य पदार्थो का नहीं लगेगा स्टॉल
ग्रामीण क्षेत्र के नदी व तालाब में अर्घ्य के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को मास्क और शारीरिक दूरी का अनुपालन करना होगा. छठ घाट पर अक्सर स्पर्श की जानी वाली बैरिकेडिंग पर समय-समय पर कीटनाशक दवा का छिड़काव करना होगा. इसके साथ ही पूजा समितियों को पर्याप्त सेनिटाइजर की व्यवस्था करनी होगी. छठ घाट पर जहां-तहां थूकना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा, साथ ही तालाब में अर्घ्य के दौरान कोई भी डूबकी नहीं लगा सकेंगे. इसके लिए विशेष तौर पर बैरिकेडिंग की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जाएगी.
वहीं घाट के आसपास खाद्य पदार्थ या स्टॉल नहीं लगाया जाएगा. किसी प्रकार के सामुदायिक भोज व प्रसाद वितरण का आयोजन नहीं किया जाएगा. बीमार व सर्दी, खांसी व बुखार के लक्षण वाले व्यक्ति के साथ 60 वर्ष से ऊपर उम्र और 10 वर्ष से कम आयु के बच्चे घर पर ही रहेंगे तो बेहतर होगा. छठव्रतियों द्वारा अगर घाट से जल लेकर जाना चाहती है तो प्रशासन मदद भी करेगी. नियम का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
 Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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November 18, 2020
 
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