'अध्यात्म और ज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के किसी भी देश से भारत की तुलना नहीं की जा सकती': दीप प्रज्वलन के साथ कथा यज्ञ का हुआ प्रारंभ

मधेपुरा जिले के मुरलीगंज में शनिवार दिन के 11:00 बजे से गोल बाजार मवेशी अस्पताल के बगल के मैदान में कथा यज्ञ का प्रारंभ हुआ. 


इस मौके पर मधेपुरा संसदीय क्षेत्र के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, बिहारीगंज विधानसभा के विधायक, मुरलीगंज नगर पंचायत अध्यक्ष श्वेत कमल बौआ यादव, एवं मुखिया जी मन पवन अग्रवाल एवं श्रीमती लक्ष्मी देवी शेखर एंड कंपनी एवं श्रीमती नूतन, माता मीना देवी कृष्णापुरी टोला वार्ड नंबर 1 आदि लोगों द्वारा दीप प्रज्वलित कर कथा यज्ञ का प्रारंभ किया गया.

कथा प्रारंभ करते हुए भागवताचार्य विदुषी सुश्री कालिंदी भारती जी ने भारत भूमि की महिमा का मंडन किया और  कहा कि यह ऋषि और महात्माओं की तपोभूमि है और अध्यात्म और ज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के किसी भी देशों से इसकी तुलना नहीं की जा सकती है.कथा प्रारंभ करते हुए राजा परीक्षित के भागवत कथा से संबंधित प्रसंगो को आए हुए भक्तों के बीच रखा. साथ ही ज्ञान एवं विज्ञान के प्रसंगों को बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर शून्य और अंक गणित का ज्ञान भारत नहीं देता तो आज दुनियाँ चांद और मंगल पर पहुँचने के साथ-साथ  विज्ञान में इतनी तरक्की नहीं करता. भारत की इस पुण्य तपोभूमि की कोटि-कोटि प्रशंसा कर भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया. इसमें ग्यारह सौ महिलाओं नें भाग लिया.

आशुतोष महाराज जी की शिष्या भागवताचार्या महामनस्विनी साध्वी सुश्री कालिन्दी भारती जी ने बताया कि हमारे शास्त्रों में आता है की कलश के अग्रभाग में देवताओं का निवास होता है एवं यह कलश हमारे मस्तिष्क में स्थित अमृत का प्रतीक है और यह यात्रा हमें इंगित करती है उस दिव्य अमृत को प्राप्त करने की ओर. कलश में आम के पेड़ के पत्तों को रखा जाता है. आम का वृक्ष सदाबहार होने के साथ फल प्रदान करने वाला भी है, ठीक इसी प्रकार प्रभु की कथा सदाबहार है जिसकी भाव युगों युगों से चली आ रही है. इतना ही नहीं यह कथा प्रभु की प्राप्ति का फल भी प्रदान करती है. भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है. जो युगों युगों से मानव जाति को लाभान्वित करता आ रहा है.  श्रीमद् भागवत जो स्वत ही अपने नाम को परिभाषित कर रहा है. श्रीमद् भागवत अर्थात जो श्री से युक्त है, श्री अर्थात चैतन्य, सौंदर्य, ऐश्वर्य.  'भागवत: प्रोक्तं इति भागवत' अर्थात वह वाणी वह कथा जो हमारे जड़वत जीवन में चैतन्यता का संचार करती है. जो हमारे जीवन को सुंदर बनाती है वह श्रीमद् भागवत कथा है जो सिर्फ  मृत्युलोक में ही संभव है.  यह एक ऐसी अमृत कथा है जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है. इसलिए परीक्षित ने स्वर्गामृत के बजाय कथामृत की ही मांग की. क्योंकि स्वर्गामृत का पान करने से पुण्यों का तो क्षय होता है. पापों का नहीं.  किंतु कथामृत का पान करने से, उसे प्रेरणा मिलती है, फिर वह पूर्ण गुरु के द्वारा तत्व से अपने भीतर जान लेता है. उसके संपूर्ण पापों का नाश होता है.

इसी आध्यात्मिक जाग्रति के प्रसार हेतु श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन संस्थान का एक विलक्षण प्रयास है.  जिससे प्रभु की अनंत लीलाओं में छिपे गूढ़ आध्यात्मिक रहस्य को कथा के प्रसंगों के माध्यम से उजागर किया जाएगा.  प्रतिदिन कथा का शुभारंभ भागवत पूजन से एवं समापन पावन आरती से होगा. जिसमें सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास सुश्री कालिंदी भारती जी कथा प्रसंगों के विलक्षण रहस्यों को आध्यात्मिक रहस्य सहित प्रस्तुत करेंगी. कथा के दौरान स्वामियों व साध्वियों द्वारा सुमधुर भजनों का गायन भी किया जाएगा.
'अध्यात्म और ज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के किसी भी देश से भारत की तुलना नहीं की जा सकती': दीप प्रज्वलन के साथ कथा यज्ञ का हुआ प्रारंभ 'अध्यात्म और ज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के किसी भी देश से भारत की तुलना नहीं की जा सकती': दीप प्रज्वलन के साथ कथा यज्ञ का हुआ प्रारंभ Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 15, 2018 Rating: 5

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