'जब जब धर्म की हानि होती है तब तक किसी न किसी रूप में पालनहार जन्म लेते हैं': भागवत कथा में छाये रहे श्रीकृष्ण


मौसम के ठीक होने पर भक्त दूने उत्साह के साथ कथा यज्ञ स्थल पर पहुंचे जहाँ सुश्री कालिंदी जी ने कहा कि भागवत जीवन का दर्पण है। यह जीवन की एक आदर्श संहिता है। इसके केवल श्रवण मात्र से कल्याण नहीं, बल्कि आचरण में लाने पर ही भागवत फलदाई होगा। 


मधेपुरा जिले के मुरलीगंज में चल रहे नौ दिवसीय श्रीमद् भगवत कथा में सुश्री कालिंदी जी ने कह कि नारद जी ने किस प्रकार मंत्रविद् से आत्मविद् होने का सफर तय किया। स्वयं को केवल शास्त्र ग्रंथों के पठन पाठन तक सीमित नहीं रखा। उनका मंथन कर सार भाव को ग्रहण किया और फिर आत्मज्ञान की प्राप्ति हेतु ब्रह्मनिष्ठ गुरु के समक्ष अपनी गुहार रख दी। तब कहीं जाकर महान शास्त्र ग्रंथों का पठन-पाठन उनके जीवन में सार्थक सिद्ध हो पाया। ठीक इसी प्रकार जैसे-जैसे किसी फल के रंग, रूप, आकार, स्वाद के विषय में पुस्तक से एकत्र की गई जानकारी तभी लाभप्रद सिद्ध होती है, जब जानकारी के आधार पर वैसे ही फल को ग्रहण कर लिया जाए। इन्हीं दिव्य प्रेरणाओं के साथ "सर्वश्री आशुतोष महाराज जी" की शिष्या भागवताचार्य महामनश्विनी विदुषी सुश्री कालिन्दी  भारती जी  श्री कृष्ण जन्म प्रसंग प्रस्तुत किया एवं आध्यात्मिक रहस्यों से भक्त-श्रद्धालुओं को अवगत कराया।

द्वापर में कंस के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए प्रभु धरती पर आए और उन्होंने गोकुल वासियों के जीवन को उत्सव बना दिया। कथा के माध्यम से आज पंडाल में नंद महोत्सव की धूम देखते ही बन रही थी। जिससे मैं सभी नर-नारी और बच्चों ने खूब आनंद लिया। बहुत सारे बच्चे कृष्ण के सखा बनने की इच्छा से सज-धज कर पीले वस्त्र पहनकर इस उत्सव में शामिल हुए। नंदोत्सव की छटा अद्भुत थी! ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो समूचा पंडाल ही गोकुल बन गया हो एवं सभी नर-नारी गोकुल वासी! केवल ग्वाल-बालों के रूप में सजे बच्चों ने ही नहीं बल्कि आगंतुकों ने भी कृष्ण जन्म के अवसर पर खूब माखन मिश्री का प्रसाद पाया।

इस प्रसंग में छुपे हुए आध्यात्मिक रहस्यों का निरुपण करते हुए साध्वी जी ने बताया जब-जब इस धरा पर धर्म की हानि होती है, अधर्म, अत्याचार, अन्याय, अनैतिकता बढ़ती है तब तब धर्म की स्थापना के लिए करुणानिधान ईश्वर अवतार धारण करते हैं, श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण भी कहते हैं - 
"यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
 अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।"
प्रभु का अवतार धर्म की स्थापना के लिए, अधर्म का नाश करने के लिए, साधु सज्जन पुरुषों का परित्राण करने के लिए और असुर, अधम, अभिमानी, दुष्ट प्रकृति के लोगों का विनाश करने के लिए होता है। साध्वी जी ने बताया कि धर्म कोई वाह्य वस्तु नहीं है। धर्म वह प्रक्रिया है जिससे परमात्मा को अपने अंतर्गत में ही जाना जाता है। स्वामी विवेकानंद कहते है--
 "Religion is the realization of God."
 अर्थात परमात्मा का साक्षात्कार ही धर्म है। जब-जब मनुष्य ईश्वर भक्ति के सनातन-पुरातन मार्ग को छोड़ कर मन माना आचरण करने लगता है तो इससे धर्म के संबंध में अनेक भ्रांतियां फैल जाती है। धर्म के नाम पर विद्वेष,  लड़ाई-झगड़े, भेद-भाव, अनैतिक आचरण होने लगता है तब प्रभु अवतार लेकर इन बाह्य आडंबरों से त्रस्त मानवता में ब्रह्मज्ञान के द्वारा प्रत्येक मनुष्य के अंदर वास्तविक धर्म का स्थापना करते हैं। कृष्ण का प्राकट्य केवल मथुरा में ही नहीं हुआ, उनका प्राकट्य तो प्रत्येक मनुष्य के अंदर होता है, जब किसी तत्वदर्शी ज्ञानी महापुरुष की कृपा से उसे ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है। जिस प्रकार कृष्ण के जन्म से पहले घोर अंधकार था, कारागार के ताले बंद थे, पहरेदार सजग थे,और इस बंधन से छूटने का कोई रास्ता नहीं था। ठीक इसी प्रकार ईश्वर साक्षात्कार के अभाव में मनुष्य का जीवन घोर अंधकारमय है। अपने कर्मों की कालकोठरी से निकलने का कोई उपाय उसके पास नहीं है। इसके विषय-विकार रुपी पहरेदार इतने सजग हो कर पहरा देते रहते हैं और उसे कर्म बंधनों से बाहर नहीं निकलने देते। 

परंतु जब कोई तत्वदर्शी महापुरुष की कृपा से परमात्मा का प्राकट्य मनुष्य हृदय में होता है, तो परमात्मा की दिव्य रुप "प्रकाश" से समस्त अज्ञान रुपी अंधकार दूर हो जाता है। विषय विकार रूपी पहरेदार सो जाते हैं, कर्म बंधनों के ताले खुल जाते हैं और मनुष्य की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। इसलिए ऐसे महापुरुष की शरण में जाकर हम भी ब्रह्मज्ञान को प्राप्त करें, तभी हम कृष्ण जन्म प्रसंग का वास्तविक लाभ उठा पाएंगे। 
वर्तमान समाजिक व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए साध्वी जी ने कहा कि आज दहेज प्रथा एक ऐसे दानव का रुप धारण कर लिया है मानो बेटा का सौदा कर रहे हैं

आज के कार्यक्रम में उत्सव यजमान- श्रीमती मंजू देवी, अध्यक्ष जिला परिषद मधेपुरा एवं नगर पंचायत अध्यक्ष श्वेत कमल उर्फ बौआ यादव, सामाजिक कार्यकर्ता विश्वजीत कुमार पिन्टू मुखिया पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष सर्जना सिद्धि,  प्रकाश नारायण यादव जिला परिषद बिहारीगंज, विजय कुमार जयसवाल एवं श्रीमती सुनीता देवी, रवि फ्लावर डेकोरेटर, मुरलीगंज, मधेपुरा, दैनिक यजमान श्री श्यामानंद यादव एवं श्रीमती रीना देवी ग्राम पोस्ट गंगापुर मुरलीगंज, विश्वनाथ शर्मा एवं श्रीमती कौशल्या देवी देवरा बाजार पूर्णिया, डॉक्टर प्रोफेसर सत्येंद्र प्रसाद यादव एवं श्रीमती किरण देवी मिडिल चौक मुरलीगंज, रामेश्वर शाह एवं श्रीमती जया देवी धमदाहा, दिलीप यादव एवं श्रीमती कल्पना देवी, गंगापुर, मुरलीगंज, शंभू रजक (शिक्षक) एवं श्रीमती अंजना देवी कबैला,सौर बाजार, सहरसा आदि पूजन में बैठे। 

मौके पर रूपेश कुमार गुलटेन जिला अध्यक्ष युवा जदयू, जय नंदन यादव के.पी. कॉलेज प्रिंसिपल, विजय यादव पूर्व पार्षद, अरविंद यादव, प्रो. जसोदा एग्रीकल्चर आदि आरती में सम्मिलित हुए।
'जब जब धर्म की हानि होती है तब तक किसी न किसी रूप में पालनहार जन्म लेते हैं': भागवत कथा में छाये रहे श्रीकृष्ण 'जब जब धर्म की हानि होती है तब तक किसी न किसी रूप में पालनहार जन्म लेते हैं': भागवत कथा में छाये रहे श्रीकृष्ण Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 19, 2018 Rating: 5

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