जरूरी खबर: सोशल मीडिया के एडमिन एवं सदस्यों के लिए मधेपुरा और सुपौल जिला प्रशासन ने जारी किये कई दिशा-निर्देश
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए सोशल मीडिया महत्वपूर्ण माध्यम है, परन्तु देखा जा रहा है कि सोशल मीडिया में समाचार के नाम पर बने ग्रुप एवं अन्य नाम से बने ग्रुप पर कभी-कभी ऐसा समाचार एवं तथ्य भी प्रेषित हो रहे हैं जिसकी सत्यता प्रमाणित नहीं है.
कई तथ्य बिना किसी पुष्टि के सीधे कट, कॉपी, पेस्ट, फॉरवार्ड किए जा रहे हैं. मधेपुरा जिला प्रशासन ने आगामी पर्व, त्यौहार एवं विभिन्न अवसरों पर विधि-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया के एडमिन एवं सदस्यों के लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए हैं. दूसरी तरफ सुपौल जिला प्रशासन ने भी सोशल मीडिया यूजर्स और एडमिन के लिए दिशा-निर्देश जारी किये हैं.
दिशा निर्देश के मुताबिक़ ग्रुप एडमिन वही बने जो अपने ग्रुप के लिए पूर्ण जवाबदेही एवं उत्तरदायित्व निर्वहन करने में समर्थ हो, जो अपने सदस्य को नियंत्रित रख सकते हों. ग्रुप एडमिन अपने सभी सदस्यों से पूर्णतः परिचित होने चाहिए. ग्रुप के किसी भी सदस्यों के द्वारा गलत बयानबाजी अपुष्ट समाचार जो अफवाह बन जाए, पर कार्रवाई करते हुए एडमिन को उसका खंडन कर तत्काल ग्रुप से हटाना होगा तथा इसकी सूचना पुलिस को देनी होगी.
ग्रुप एडमिन के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर तथा पुलिस को सूचना नहीं देने पर एडमिन भी दोषी माना जाएगा और उसपर विधि-सम्मत कार्रवाई होगी. ग्रुप एडमिन अथवा ग्रुप के सदस्य अपनी ओर से किसी अफवाह, भ्रामक तथ्य, सामाजिक एवं साम्प्रदायिक सौहार्द के विरुद्ध पोस्ट को आगे फॉरवार्ड नहीं करेंगे, तथा ऐसे किसी भी ग्रुप का सदस्य नहीं बनेंगे जिसमे जातीय, या धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने वाली टिप्पणी हो या होने की आशंका हो.
जिला प्रशासन ने कहा है कि व्हाट्स एप्प, फेसबुक, ट्विटर आदि पर जातीय/धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले टिप्पणी करना या ऐसे वीडियो/पिक्चर पोस्ट करना तथा ऐसे पोस्टों पर विवादित टिप्पणी करना दंडनीय अपराध है. दोषी पाए जाने पर आई.टी. एक्ट/साइबर क्राइम तथा भारतीय दंड संहिता के सुसंगत धाराओं के तहत विधि-सम्मत कार्रवाई की जाएगी.

कई तथ्य बिना किसी पुष्टि के सीधे कट, कॉपी, पेस्ट, फॉरवार्ड किए जा रहे हैं. मधेपुरा जिला प्रशासन ने आगामी पर्व, त्यौहार एवं विभिन्न अवसरों पर विधि-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया के एडमिन एवं सदस्यों के लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए हैं. दूसरी तरफ सुपौल जिला प्रशासन ने भी सोशल मीडिया यूजर्स और एडमिन के लिए दिशा-निर्देश जारी किये हैं.
दिशा निर्देश के मुताबिक़ ग्रुप एडमिन वही बने जो अपने ग्रुप के लिए पूर्ण जवाबदेही एवं उत्तरदायित्व निर्वहन करने में समर्थ हो, जो अपने सदस्य को नियंत्रित रख सकते हों. ग्रुप एडमिन अपने सभी सदस्यों से पूर्णतः परिचित होने चाहिए. ग्रुप के किसी भी सदस्यों के द्वारा गलत बयानबाजी अपुष्ट समाचार जो अफवाह बन जाए, पर कार्रवाई करते हुए एडमिन को उसका खंडन कर तत्काल ग्रुप से हटाना होगा तथा इसकी सूचना पुलिस को देनी होगी.
ग्रुप एडमिन के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर तथा पुलिस को सूचना नहीं देने पर एडमिन भी दोषी माना जाएगा और उसपर विधि-सम्मत कार्रवाई होगी. ग्रुप एडमिन अथवा ग्रुप के सदस्य अपनी ओर से किसी अफवाह, भ्रामक तथ्य, सामाजिक एवं साम्प्रदायिक सौहार्द के विरुद्ध पोस्ट को आगे फॉरवार्ड नहीं करेंगे, तथा ऐसे किसी भी ग्रुप का सदस्य नहीं बनेंगे जिसमे जातीय, या धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने वाली टिप्पणी हो या होने की आशंका हो.
जिला प्रशासन ने कहा है कि व्हाट्स एप्प, फेसबुक, ट्विटर आदि पर जातीय/धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले टिप्पणी करना या ऐसे वीडियो/पिक्चर पोस्ट करना तथा ऐसे पोस्टों पर विवादित टिप्पणी करना दंडनीय अपराध है. दोषी पाए जाने पर आई.टी. एक्ट/साइबर क्राइम तथा भारतीय दंड संहिता के सुसंगत धाराओं के तहत विधि-सम्मत कार्रवाई की जाएगी.

जरूरी खबर: सोशल मीडिया के एडमिन एवं सदस्यों के लिए मधेपुरा और सुपौल जिला प्रशासन ने जारी किये कई दिशा-निर्देश
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 20, 2018
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