

जिस का विधिवत उद्धघाटन बिहार सरकार के पूर्व मंत्री सह आलमनगर विधान सभा
क्षेत्र के वर्तमान विधायक नरेंद्र नारायण यादव के द्वारा किया गया। इस आयोजन
समारोह के अवसर पर कई वक्ताओं ने डॉ अंबेडकर के जीवनी पर प्रकाश डाला। विधायक श्री
यादव ने कहा कि जो महापुरुष होते हैं उनके जीवन में कई कठिनाइयाँ आती है। डॉ अम्बेडकर
यह अच्छी तरह समझते थे कि जाति व्यवस्था ही भारत में सभी कुरीतियों की जड़ है
एवं बिना इसके उन्मूलन के देश और समाज का सतत् विकास सम्भव नहीं. यह समाज के लिए ही नहीं बल्कि राष्ट्र के लिए भी गर्व की
बात है कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर एक प्रबुद्ध विचारक,
न्याय के पक्षधर और स्पष्टवादी व्यक्ति थे. प्रत्येक
व्यक्ति का कोई न कोई प्रेरणा-सूत्र होता है. बाबासाहेब ने कबीर,
फुले और महात्मा बुद्ध को अपना आदर्श माना था. बाबासाहेब को
शोषण-उत्पीड़न व अन्याय के विरोध, समता, बन्धुता और भाई-चारे जैसे मानवीय मूल्यों की स्थापना की
प्रेरणा कबीर, फुले
और महात्मा बुद्ध के जीवन दर्शन से प्राप्त की थी.
बाबा विशूराउत कॉलेज के पूर्व प्राचार्य नवल किशोर जायसवाल ने कहा कि बाबा साहेब
लोकतंत्र के प्रबल समर्थक थे जिससे समाज और आर्थिक क्षेत्र में क्रन्तिकारी बदलाव
किया जा सकता है। चौसा थाना अध्यक्ष सुमन कुमार सिंह ने कहा कि डॉ अंबेडकर के विचार
और देश के लिए मर मिटने वाले जैसे इंसान की जरूत अभी भी हमारे देश को है। हम लोगों
को उनके विचारधारा पर ही चलना चाहिए। 20 सूत्री के पूर्व अध्यक्ष मनोज प्रसाद ने कहा कि बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर शिक्षा व ज्ञान को
खास मानते हुए जब ये कहते हैं कि आदमी महज रोटी पर ही जीवित नहीं रह सकता. उसे
विचारों की खुराक भी चाहिए क्योंकि उसके पास दिमाग भी है. बाबासाहेब दलित नौजवानों
को अपने स्वाभिमान और अस्मिता की रक्षा के लिए बार-बार याद दिलाते थे कि जब कभी
अवसर मिले तो यह सिद्ध करने का प्रयास करें कि वे बुद्धिमानी और योग्यता में किसी
से रत्ती भी कम नहीं हैं। पूर्व मुखिया श्रवण कुमार पासवान ने आये हुए सभी
अतिथियों का स्वागत किया।
जदयू नेता अबूसालेह सिद्दिकी, शिव कुमार यादव ने कहा कि बाबासाहेब में राष्ट्र-प्रेम कूट-क़ूट कर भरा था.
चाहे अछूतों के पक्ष में मंदिर प्रवेश का मामला हो, या तालाब के पानी का, धर्म परिवर्तन का या पूना पैक्ट से जुड़ा कम्युमनल एवार्ड का,
बाबासाहेब ने कभी भी राष्ट्रहित की अनदेखी नहीं की. यह अलग
बात है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बाबा साहेब ने अछूत समस्या पर गुमराह करने
वालों से तर्क-वितर्क करने में कठोर रुख अपनाया. द्वय नेता ने कहा कि किसी भी संविधान की सफलता या असफलता संविधान की अपनी नहीं
होती अपितु उसे लागू करने वालों की नीयत पर निर्भर होती है. बाबासाहेब का मानना था
कि बुद्धिमान व्यक्ति भला हो सकता है, लेकिन साथ ही वह दुष्ट भी हो सकता है. बाबासाहेब का यह भी
मानना था कि सभी समता, स्वतंत्रता व भ्रातृत्व के भाव के आधार पर प्रगति व खुशहाली के अवसर प्राप्त कर
सकें,
यही बाबासाहेब का मानवतावाद है जिसके लिए वे जीवन भर
संघर्षरत रहे.
समारोह को पूर्व प्रधानाध्यापक कुलदीप पासवान,
भूपेंद्र पासवान, किस्मत अली, विजय पासवान, विनोद पाटिल,नरेश ठाकुर निराला ने भी संबोधित की कार्यक्रम की अध्यक्षता
पूर्व मुखिया सूरज कुमार पट्वे ने की जबकि कार्यक्रम का संचालन पत्रकार सुबोध
कुमार सौरभ ने किया. धन्यवाद ज्ञापन युवा समाजसेवी राजकिशोर पासवान ने की। मौके पर
पत्रकार संजय कुमार सुमन ने “भारतीय संविधान के शिल्पकार भारत रत्न डॉ बाबा साहब
अंबेडकर-एक नजर” का
एक
आलेख माननीय विधायक जी को समर्पित किया.
इस मौके पर अधिवक्ता विनोद आज़ाद, साहित्यकार कुंदन कुमार घोषईवाला, निरंजन कुमार नीरज, मृत्युंजय भगत, मनोज पासवान, बिंदेश्वरी पासवान, तारणी यादव, योगेन्द्र यादव, गोपाल यादव, सुशील यादव, ओमप्रकाश मेहता, परमानन्द मंडल, सुगन पासवान, भूपेंद्र पासवान, मो सत्तार, सुंदेश्वरी यादव, सुरेंद्र यादव, मो शाहजहाँ, राजेन्द्र मंडल, राम पासवान, पूर्व जिला परिषद प्रतिनिधि मनोज राणा,
अशोक पासवान, अनुज कुमार, लोक अभियोजक अरुण कुमार पासवान सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे.
'बाबा साहब जानते थे कि जाति-व्यवस्था सभी कुरीतियों की जड़ है': पूर्व मंत्री
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 06, 2017
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