कल से शुरू हो रहे मुसलमानों का
पवित्र पर्व रमजान में 30
रोजा रखना हर मुसलमान का
फर्ज है. रोजा रखने की अवधि कई देशों में अलग
अलग है. कही कुछ घंटों का रोजा है तो कही
सुबह से शाम तक कहीं -कहीं दिन और रात के रोजा को सही ठहराया गया
है.
कहते हैं कि मुसलमानों के धर्मगुरु या उलेमा कहते हैं
पैगंबर मुहम्मद को जब अल्लाह
ने अपना प्रतिनिधि बनाया
था तो अल्लाह ने उसको 50 दिन
का रोजा रखने का हुक्म दिया था. पैगंबर
मुहम्मद ने अल्लाह से गुजारिश की कि 50 दिन का फर्ज
रोजा हमारी उम्मत में नहीं रखा जा सकता है.
अल्लाह ने
उसके गुजारिश को मानते हुए कहा रमजान
में 30 रोजा हर बंदे का फर्ज है, बाकि
20 रोजा नेक बंदे के इरादों पर है. ईद के बाद जो छः रोजे
जो मुहर्रम, बकरीद, शाबान और रजब आदि
महीनों में रखे जाते हैं. नफिल रोजा रखने
पर अल्लाह की इबादत है नही रखने पर गुनाह नहीं है. हाफीजी
का कहना है बालिग मुसलमानों के लिए रमजान के 30 रोजा
रखना फर्ज है.
किसको रोजा रखना फर्ज है :- कुरान और हदिस में बताया गया है कि सभी बालिग मर्द और औरत पर रमजान का रोजा रखना फर्ज किया गया है. बीमार, बहुत बूढ़े जिसके शरीर में रोजा रखने की क्षमता नहीं है या जो मानसिक रूप से बीमार हैं उसे रोजा रखने में छूट है. जो बराबर बीमार रहता है उसके बदले 60 गरीबों को दोनो वक्त का भोजन कराना होगा या भोजन के बराबर अनाज की कीमत देनी होगी.
रोजा नहीं रखने वाले गुनाहगार हैं :- कोई बालिग मुसलमान जानबूझ कर रोजा नहीं रखता है तो वह गुनेहगार है. हाजी साहब का कहना है ऐसे लोग जहन्नुम में जायेंगे. उन्होंने बताया कि ऐसे लोग ईद की नमाज रोजेदारो के साथ अदा नही कर सकते हैं.
पवित्र माह है रमजान का महीना :- इस माह में रोजा रखने वालो के लिए जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं तथा जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं. गरीबों, लाचारों, बेबसों और मुफलिसो को मदद करने से ज्यादा सवाब मिलता है.
ईद में चाँद का महत्त्व: ईद मे चांद का अपना अलग ही महत्व है. इस्लामिक कैलेंडर में चांद के आधार पर ही
साल में 12 महीने की गिनती होती है. इस्लामिक महीने की शुरुआत नये चांद देखे जाने के दूसरे दिन
से शुरू हो जाती है. नया
चांद किसी
माह में 29 तारीख को होता है तो कोई माह 30 तारीख
को होता है. 30 के
चांद से 29 का चांद बहुत ही
बारीक और कम समय के लिए दिखता है. 30 का चांद मोटा होता
है कुछ देर तक दिखता है जो अमूमन 6 माह 29 का बाकी 30 का होता है. इसी
कारण मुसलमानों का पर्व 3 साल में अंग्रेजी
तारीख के हिसाब से एक माह पीछे हो जाता है.
कैसे करें रोजा? :- रोजा रखने वाले रोजेदार रात के तीसरे पहर मस्जिद के अजान से पहले कुछ खा पी लें. खाना के बाद साफ नीयत से रोजा रखने की नीयत करे. अहले सुबह की नमाज अदा करने के बाद अपने रोजगार में लग जाय. दिन में जोहर और असर का नमाज अदा करे. कुरान की तिलावत करे. शाम में अजान होने के बाद फौरन रोजा तोड़े या इफ्तार करे. उसके बाद मगरिब की नमाज अदा करे. रात में ईशा की नमाज के बाद जमाअत से तरावीह पढे और सो जाय.
रमजान का पाक महीना कल से: खोल दिए जाते हैं रोजेदारों के लिए जन्नत के दरवाजे
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 18, 2015
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