मधेपुरा में इंटरमीडिएट परीक्षा कुछ ही घंटे बाद
शुरू होने वाली है. परीक्षा गत वर्ष की तरह ही कदाचारमुक्त कराने की पूरी तैयारी
जिला प्रशासन ने कर ली है. जिलाधिकारी गोपाल मीणा ने आम लोगों और बुद्धिजीवियों से
स्वच्छ और कदाचारमुक्त परीक्षा कराने में सहयोग की अपील करते हुए कहा है कि ये जिले की
बेहतरी के लिए आवश्यक है.
परीक्षार्थियों
की भीड़ मधेपुरा पहुँच चुकी है और सूचना है कि बदलती हवा के रूख के अनुसार अधिकांश परीक्षार्थियों
ने अपने आपको गत वर्ष की परीक्षा के बाद से ही बदलना शुरू कर दिया था. पहले जहाँ
कदाचार के बल पर पास करने का ख्वाब देखने वाले छात्रों की वजह से मधेपुरा में
परीक्षार्थियों की संख्यां अन्य जिलों की तुलना में काफी अधिक हुआ करती थी वहीँ गत
वर्ष कदाचार न होने के कारण बाहर के जिलों के छात्रों का आकर्षण मधेपुरा में
एडमिशन लेने और यहाँ से फॉर्म भरने में कम होने लगा है.
कदाचार
के समर्थक एक कुतर्क यह पेश करते हुए दिखते हैं कि कॉलेजों में पढ़ाई नहीं होती है.
पहले वहां पढ़ाई दुरुस्त करवाइए फिर कदाचार पर रोक लगाइए. यह कुतर्क छात्रों की
बदहवासी और मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है. कॉलेजों में पढ़ाई नहीं होने पर
छात्रों ने शायद ही कभी
मन से शिक्षकों पर दबाव बनाया होगा. कॉलेज में न पढ़ाने
वाले शिक्षक जब घर पर ट्यूशन पढ़ाते हैं तो शायद ही छात्रों ने उनके खिलाफ कॉलेज
प्रशासन या जिला प्रशासन को कोई आवेदन दिया होगा.
मन से शिक्षकों पर दबाव बनाया होगा. कॉलेज में न पढ़ाने
वाले शिक्षक जब घर पर ट्यूशन पढ़ाते हैं तो शायद ही छात्रों ने उनके खिलाफ कॉलेज
प्रशासन या जिला प्रशासन को कोई आवेदन दिया होगा.
दूसरी
तरफ कॉलेज में पढ़ाई न होने के नाम पर वे अलग से कई विषयों के ट्यूशन भी पढ़ते दिखते
हैं, पर कदाचारमुक्त परीक्षा के नाम पर उन्हें सांप सूंघ जाना यह दर्शाता है कि
उन्होंने पूरे सेसन में मन से पढ़ाई नहीं की, बल्कि ‘कुछ और’ करते रहे. ट्यूशन के नाम पर अभिभावकों की जेबें ढीली करने
वाले छात्रों ने स्वाध्याय को भी अपना हथियार नहीं बनाया और शर्मनाक बात तो यह है
कि जाने-अनजाने में अपने बच्चों का भविष्य खराब करने के लिए कुछ अभिभावक भी कदाचार
का समर्थन करने लगते हैं.
यह बात
भी सत्य है कि शिक्षा व्यवस्था में अभी बहुत सुधार की जरूरत है. पर आंदोलन या विरोध
स्कूल-कॉलेजों में ढंग से पढ़ाई न होने का होना चाहिए, न कि कदाचार रोकने पर. सिर्फ
टीवी के सामने बैठकर केजरीवाल का समर्थन करने से जिले की प्रगति नहीं होगी बल्कि
छात्रों और शिक्षकों को पढ़ाई के प्रति ईमानदार होना होगा और अभिभावकों को अपने
बच्चों में स्वच्छ और कदाचारमुक्त परीक्षा देने के संस्कार भरने होंगे ताकि उनका
भविष्य गर्व करने लायक बन सके.
(वि० सं०)
कुछ लोगों की वजह से पूरा जिला रहा है बदनाम: करें इनका बहिष्कार, रोकें कदाचार
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 18, 2015
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