सरकार को नहीं पता कि बिहार का नाम बिहार क्यों पड़ा?

कैलेंडर कहता है कि यह 21वीं सदी है. लेकिन, बिहार की सरकार और यहां के अफसरों के लिए यह प्रागैतिहासिक काल है.
सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक बिहार में अब तक कुल 33 लोग प्रीमियर या सीएम रहे
ग्लोब पर हमारी पहचान एक तेजी से विकसित होते देश की रिहाइश के तौर पर है. भारत-2020 के सपने के साथ जिंदादिल और दुनिया के सबसे इनोवेटिव युवाओं की जमात में हम सबसे आगे है. लैपटॉप की बात छोडि़ए, हम आई पैड, आई फोन और टैबलेट यूज करने वाले लोग है. कैलेंडर कहता है कि यह 21वीं सदी है. लेकिन, बिहार की सरकार और यहां के अफसरों के लिए यह प्रागैतिहासिक काल है. मतलब, वह काल, जिसका कोई लिखित इतिहास उपलब्ध नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार को यह नहीं पता कि बिहार का नाम बिहार क्यों पड़ा? कब पड़ा? और यह नामकरण क्यों किया गया?
 
नहीं जानते क्यों पड़ा बिहार का नाम
यह खबर किसी सड़क छाप नेता द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर नहीं लिखी गई है. और न हम हवा में बातें कर रहे है. बिहार सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग ने स्वीकार किया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि बिहार का नाम बिहार क्यों पड़ा. यह खुलासा हुआ है हमारे द्वारा आरटीआई एक्ट-2005 के तहद मांगी गई एक जानकारी के जवाब में.
 
फोटो, ना डेट ऑफ बर्थ का पता
इस खबर में कई और हैरतअंगेज खुलासे है. मसलन, सरकार यह भी नहीं जानती कि बिहार में अब तक रहे मुख्यमंत्रियों की जयंती कब मनाई जाती है. साफ है कि सरकार को बिहार के मुख्यमंत्रियों की जन्मतिथि (डेट ऑफ बर्थ) का पता नहीं है. इसकी कभी आवश्यकता भी नहीं समझी गई. मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग ने बताया है कि उसके पास बिहार के सभी मुख्यमंत्रियों की फोटो भी नहीं है. सरकार द्वारा भेजी गई जानकारी के मुताबिक, बिहार में अब तक कुल 33 लोग प्रीमियर या सीएम रहे है. अगर आप किसी खास प्रीमियर या सीएम पर शोध कर रहे है. इसके लिए उनकी फोटो देखना चाहते है, तो आपको निराश होना पड़ेगा.
 
केपी जायसवाल शोध संस्थान से पूछिए
दरअसल, हमने मुख्यमंत्री सचिवालय से आरटीआई एक्ट के तहद कुछ जानकारी मांगी थी. इसके बाद मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग ने यह जानकारी देने के लिए बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय को लिखा. ऐसे मामले अभिलेखागार निदेशालय के तहत ही आते है. इस निदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर है रवींद्र नाथ बैठा. जन सूचना अधिकारी भी वही है. लिहाजा, उन्होंने इस एक्ट का सम्मान करते हुए हमें जानकारी भेजी. यह सारे खुलासे मिस्टर बैठा द्वारा भेजी गई जानकारी में ही हुए है.
अलबत्ता, मिस्टर बैठा ने हमें सुझाव दिया कि हम बिहार के नामकरण संबंधी जानकारी केपी जायसवाल शोध संस्थान पटना से ले सकते है. फिर हमने उस रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर विजय कुमार से बात की. उन्होंने कहा कि इसका कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है कि बिहार का नाम बिहार क्यों और कब पड़ा? यहां उल्लेख्य है कि केपी जायसवाल शोध संस्थान की स्थापना सरकार ने 1950 में इतिहास से संबंधित रिसर्च को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया था.

हमारे सवाल
1. बिहार में आजादी के बाद से अब तक कौन-कौन लोग मुख्यमंत्री रहे? उनकी कार्य अवधि का विवरण दें. उनकी जन्मतिथि भी बताएं.
2.
क्या इन सभी मुख्यमंत्रियों की तस्वीर आपके कार्यालय में उपलब्ध है? अगर हां, तो ये तस्वीरें हमें उपलब्ध कराएं.
3.
बिहार राज्य का नाम बिहार कबसे है? यह नामकरण क्यों किया गया? इसकी जानकारी दें.
सरकार का जवाब
1. बिहार के मुख्यमंत्रियों की कार्यावधि इस पत्र के साथ संलग्न है, लेकिन उनकी जन्मतिथि से संबंधित कोई अभिलेख अभिलेखागार में उपलब्ध नहीं है.
2. राज्य अभिलेखागार में बिहार के सभी मुख्यमंत्रियों की तस्वीर उपलब्ध नहीं है. 3. बिहार राज्य का नाम बिहार कबसे है और यह नामकरण क्यों किया गया, इससे संबंधित सूचना अभिलेखागार में उपलब्ध नहीं है. इसकी जानकारी केपी जायसवाल शोध संस्थान पटना से प्राप्त की जा सकती है.


रवि प्रकाश
(साभार: आईनेक्स्ट)
सरकार को नहीं पता कि बिहार का नाम बिहार क्यों पड़ा? सरकार को नहीं पता कि बिहार का नाम बिहार क्यों पड़ा? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 29, 2013 Rating: 5

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