गोद में बच्चा: शिक्षिका कैसे करे अध्यापन ?

|राजीव रंजन|26 जुलाई 2013|
माँ बनना एक औरत की जिंदगी का सुखद एहसास होता है और अपना बच्चा शायद दुनियां में सबसे प्यारा. कामकाजी महिलाओं को बच्चों को लेकर ख़ासा परेशान रहना पड़ता है, पर परवरिश का सवाल है, एडजस्ट तो करना ही होगा.
      शिक्षिकाओं को तो स्कूल में लंबा समय देना पड़ता है. सरकार मातृत्व अवकाश देकर थोड़ी मदद तो जरूर पहुंचाती है, पर बच्चे को माँ की आवश्यकता तब तक बहुत ही ज्यादा होती है जबतक कि वह खुद पढ़ाई के लिए स्कूल न जाना शुरू कर दे.
      शिक्षिका माँ के मामले में सबसे बड़ी समस्या यह है कि नवजात शिशु को साथ ले जाना मजबूरी है और बच्चा तंग करेगा तो फिर अध्यापन का कार्य तो बाधित होगा ही. वहां कभी-कभी छात्र-छात्राएं भी बस प्यार से बच्चे को दुलार कर देती है. पर यदि ऐसे में लोगों और सरकार के लोगों की सहानुभूति और सहयोग मिल जाए तो सबकुछ आसान हो जाता है. लंबी जिंदगी और पूरी नौकरी के दो-चार साल...बस यूं ही....आखिर किसी बच्चे के जीवन की बात है और साथ है एक माँ की ममता.
गोद में बच्चा: शिक्षिका कैसे करे अध्यापन ? गोद में बच्चा: शिक्षिका कैसे करे अध्यापन ? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 26, 2013 Rating: 5

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