जिले के मुरलीगंज प्रखंड के परसा गाँव में होने वाला दुर्गा पूजा अपना एक अलग ही महत्त्व रखता है.परसा दुर्गा पूजा का इतिहास एक सौ वर्ष से भी पुराना है.यहाँ खासकर नवमी को दूर दूर से आकर मन्नत मांगने वाले लोगों का तांता लग जाता है.दशमी की शाम को दुर्गा मंदिर में खौंछ देने वालों की भीड़ इतनी ज्यादा हो जाती है कि इसे नियंत्रित करना कठिन हो जाता है.इस मंदिर के सम्बन्ध में एक मान्यता है कि यहाँ मांगने से लोगों की मन्नत पूरी होती है.
यहाँ बंगला पद्धति से होने वाले पूजा के विषय में ग्रामीण बताते हैं कि करीब सौ साल पहले बंगाल के वर्धमान जिले से स्व० हरि गोविन्द सरकार इस गाँव में आये और कुछ जमीन खरीदकर बंजर भूमि में एक मुट्ठी सरसों से खेती प्रारंभ किये.उन्ही के द्वारा यहाँ प्रारम्भ किये गए दुर्गा पूजा की परंपरा को उनके पुत्र स्व० द्वारिका नाथ सरकार और फिर उनके पुत्र स्व० देवी पदों सरकार व स्व० उमा पदों सरकार के वंशज अभी भी निभाते आ रहे हैं.बाद में इन्होने पूजा के उद्येश्य से कुछ जमीन भी अलग कर रख दी,जिसके उपजा से मंदिर की देखभाल और पूजा की जाती है.खास बात यह है कि इस पूजा के लिए कोई चंदा वसूलने की परंपरा यहाँ नहीं है और सरकार परिवार ही सारा खर्च वहन करता है.दुर्गा स्थान में जमा हुए प्रसाद को पूरे गाँव में वितरित कर दिया जाता है.इस वर्ष भी यहाँ पूजा की तैयारी धूम-धाम से हो रही है.
महत्वपूर्ण है परसा का दुर्गा पूजा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 02, 2011
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