पंकज कुमार भारतीय/२७ मई २०११
नवोदय विद्यालय के कुक विजय शंकर झा के बेटे एकेश्वर झा ने आईआईटी में सफलता का परचम लहरा कर ये साबित कर दिया है कि जैसे कीचड़ में कमाल खिलता है वैसे ही प्रतिभा अभावों में भी पनपती है.
जब एकेश्वर झा ने नवोदय विद्यालय सुपौल से वर्ष २००८ में ९२ प्रतिशत अंक के साथ मैट्रिक और यहीं से ९३ प्रतिशत अंक के साथ प्लस टू उत्तीर्ण किया तो लोगों को एकेश्वर में एक अत्यंत सुनहरा भविष्य दिखने लगा था.अपने विधालय के
टॉपर रहे एकेश्वर का आईआईटी में यह दूसरा प्रयास था.एकेश्वर की सफलता की पृष्ठभूमि में जाने पर ये स्पष्ट होता है कि एकेश्वर की सफलता के पीछे उसके पिता का पूरा-पूरा सहयोग है. एक मामूली कुक की नौकरी करने वाले पिता विजय शंकर झा ने बेटे को लक्ष्य तक पहुचाने के लिए अपनी हर आकांक्षा को कुर्बान कर दिया पर हौसले को कभी घटने नही दिया. यही वजह है कि
टॉपर रहे एकेश्वर का आईआईटी में यह दूसरा प्रयास था.एकेश्वर की सफलता की पृष्ठभूमि में जाने पर ये स्पष्ट होता है कि एकेश्वर की सफलता के पीछे उसके पिता का पूरा-पूरा सहयोग है. एक मामूली कुक की नौकरी करने वाले पिता विजय शंकर झा ने बेटे को लक्ष्य तक पहुचाने के लिए अपनी हर आकांक्षा को कुर्बान कर दिया पर हौसले को कभी घटने नही दिया. यही वजह है कि
एकेश्वर अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने पिता को देते हैं.विजय शंकर झा की गिनती एक सफल पिता के रूप में तो की ही जा सकती है.इस बेटे को सफलता का मुंह दिखाने से पहले से विजय एक बेटी को मेडिकल में पढ़ा रहे हैं.पर विजय शंकर झा भी जिंदगी की धरा कभी-कभी प्रतिकूल होने पर थकावट महसूस करने लगते हैं,कहते हैं “कभी-कभी निराश हो जाता हूँ कि कैसे सब कुछ पार लगेगा?”
मंजिल पाकर एकेश्वर कहते हैं, “मैं कभी भी हीन भावना से ग्रसित नही हुआ.पापा ने हमेशा मुझे विपरीत परिस्थिति में भी लड़ने का हौसला दिया है.”सफलता का मूल मन्त्र क्या है,पर एकेश्वर कहते हैं “जितनी अच्छी मिहनत होगी,सफलता का रंग उतना गहरा होगा.’एकेश्वर झा भविष्य में एक अच्छा आईआईटीयन बन कर अपने राज्य के लिए कुछ करने की तमन्ना रखते हैं.
कुक के बेटे ने पाई आईआईटी में सफलता
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 27, 2011
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REALLY APPRECIABLE AND HEARTIEST CONGRATULATION TO U
ReplyDeleteMOHIT
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