सुपौल। गोवर्धन पूजा
के अवसर पर शुक्रवार को कोसी इलाके में मवेशी पालकों के बीच हुर्रियाहा पर्व
हर्षोल्लास के साथ मना।
क्या है हुर्रियाहा
पर्व: गोवर्धन पूजा के बाद मवेशी पालक अपने-अपने मवेशी को नहला-धुलाकर मवेशी के
गले मे नया रस्सी एवं घंटी बांधकर उसे विभिन्न प्रकार के रस्सी से बने डोर से
सजाते हैं। इसके बाद मवेशी को उसका मनपसंद चारा खिलाया जाता है। इस दिन खासकर
मवेशी को नीम पत्ता, बरगद पत्ता,
आक-धतूर के साथ कच्चा हल्दा और गोल मरीज पीस कर खिलाया जाता
है। इससे पूर्व दिवाली की संध्या मवेशी पालक अपने मवेशी की नाद में सुपारी रख कर
निमंत्रण भी देता है।
दुधारू भैंस को
उतारा जाता है मैदान में: खिला-पिलाकर दुधारू भैंस को उसके बच्चे के साथ खुले
मैदान में उतारा जाता है। जहां मवेशी पालक अपने बीच सहयोग निधि से एक सुअर के
बच्चे को खरीद कर मैदान में रखता है और नगाड़े की आवाज पर भैंस को ललकार कर सुअर के
बच्चे पर प्रहार करने को आमंत्रित करता है। इस बीच मवेशी पालक अपने मवेशी का पीठ
थपथपा कर उसका हौसला बढ़ाते रहते हैं। सुअर पर प्रहार करने का मौका प्रत्येक मवेशी
को दिया जाता है। जिसके मवेशी के प्रहार से सुअर का बच्चा दम तोड़ देता है। उसके
मवेशी को विजेता घोषित किया जाता है। इसके बाद मौके पर मौजूद मवेशी पालक विजेता
मवेशी के मालिक का अंगवस्त्र उतार कर सुअर पालक को सौंप देता है। बताया जाता है कि
इस दौरान मवेशी नशे की हालत मे होता है।
वर्षों पुरानी है यह
प्रथा: मवेशी पालकों के बीच यह प्रथा वर्षों से चलती आ रही है। आधुनिकता के दौर
में यह कम तो हुआ है लेकिन मिथिला, कोसी एवं
सीमांचल के इलाके में आज भी यह हुर्रियाहा पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
कैसे मनाया जाता है हुर्रियाहा, देखने के लिए यहाँ क्लिक करें.
गोवर्धन पूजा के मौके पर हर्षोंल्लास के साथ मना हुर्रियाहा का पर्व (वीडियो)
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 20, 2017
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