मेगा लोक अदालत-अमन की दिशा में न्यायालय का एक महत्वपूर्ण कदम


रविवार- व्यवहार न्यायालय मधेपुरा का परिसर और लोगों की उमड़ी भीड़.
चौंकिए नहीं,ये मुक़दमे से सम्बंधित लोग तो जरूर हैं,पर ये शान्ति की जिन्दगी जीना चाहते हैं,न्याय में विश्वास रखते हैं और ये आज सुलह करने न्यायालय पहुंचे हैं.
  जी हाँ ! आज मधेपुरा कोर्ट परिसर में 'मेगा लोक अदालत' का आयोजन किया गया है.लोक अदालत; यानि समझौते के आधार पर वादों का निपटारा.विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वाधान में आयोजित होने वाले इस लोक अदालत में पारिवारिक व विवाह संबंधी विवाद..........
,मोटर दुर्घटना के दावों का निपटारा तथा अनेक प्रकार के सिविल व आपराधिक सुलहनीय वादों को भी उभयपक्षों की सहमति तैयार कर निष्पादित किया जाता है.दरअसल न्यायालयो में अत्यधिक संख्यां में वादों के लंबित रहने के कारण इसके निष्पादन में देरी होने की सम्भावना रहती है जिससे कभी-कभी तो छोटे-मोटे वादों में भी पक्षकारों को कई वर्षों तक न्यायालय  का चक्कर लगाना पड़ता है और उनकी जेब भी अच्छी-खासी ढीली हो जाती है.ऐसी परिस्थिति में लोगों का विश्वास लोक अदालत जैसी संस्थाओं में हल के दिनों में काफी बढ़ा है,मालूम हो कि लोक अदालत से निष्पादित किये गए मामले अपील योग्य नहीं होते हैं.
(न्याय के लिए पहुँची महिलायें) 
आज मधेपुरा कोर्ट परिसर आयोजित मेगा लोक अदालत के अंतर्गत कुल छ: बेंचों का गठन किया गया,जिसमे प्रत्येक बेंच में दो न्यायिक पदाधिकारी व एक महिला अधिवक्ता शामिल थे.प्रत्येक बेंच का गठन अलग-अलग तरह के मामलों के निष्पादन के लिए किया गया था.जिला न्यायाधीश श्री बिरेन्द्र कुमार तथा मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी श्री अनिल कुमार सिन्हा घूम कर दिन भर  स्थिति का जायजा लेते रहे.आज कुल मिलकर सिविल के १३ तथा क्रिमिनल के १३६ वादों सहित १४९ वादों का निष्पादन मेगा लोक अदालत के द्वारा किया गया.अन्य मामलों में कुल १३ लाख ६० हजार रू० की राशि का सेटलमेंट भी किया गया, जिनमे से २ लाख रू० नकद भी पक्षकारों को दिलाया गया.
(बेंचों द्वारा वादों का निपटारा ) 
कुल मिलकर कहा जा सकता है कि आज का मेगा लोक अदालत विवादों को सुलझाने में एक नई सुबह की भांति आया है जो समाज में अमन-चैन लेन की दिशा में न्यायालय द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है.
राकेश सिंह/02 मई २०१०/
मेगा लोक अदालत-अमन की दिशा में न्यायालय का एक महत्वपूर्ण कदम मेगा लोक अदालत-अमन की दिशा में न्यायालय का एक महत्वपूर्ण कदम Reviewed by Rakesh Singh on May 02, 2010 Rating: 5

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