ये अस्पताल है या कसाईखाना:सुशासन की खुल रही पोल

अस्पताल में रोती मुन्नाज
रूद्र नारायण यादव/१७ अप्रैल २०११
सदर अस्पताल मधेपुरा.दावे भले ही बड़े-बड़े हो,पर असलियत कुछ और ही बयां करते हैं.सुशासन में नीतीश बाबू ने अस्पतालों को ऊपर-ऊपर चमकाने में कोई कसर नही छोड़ी.मधेपुरा का सदर अस्पताल भी इनके शासन काल में काफी सुविधायुक्त हुआ है.पर शनिवार की इस घटना से ये कहना मुश्किल हो गया है कि इस अस्पताल में डाक्टर और नर्स काम करते हैं या फिर कसाईयों की पूरी टीम.
   मुन्नाज की चीख और चिल्लाहट इस अस्पताल की कुछ और ही कहानी कहते है.मधेपुरा के गोसाईंटोला की रौनक प्रवीण को उसकी माँ मुन्नाज प्रसव हेतु सदर अस्पताल पहुंची थी.संयोग ऐसा हुआ कि अस्पताल पहुँचते ही रौनक प्रवीण प्रसव कक्ष से पूर्व ही माँ बन गयी. बस! यहीं से रौनक की माँ बनने खुशी को अस्पताल के डॉक्टरों,नर्सों और कर्मचारियों ने दुर्भाग्य बना दिया.रौनक बरामदे पर ही प्रसवोपरांत छटपटा रही थी और यहाँ के जल्लादनुमा चिकित्सक और नर्सों ने रौनक को अस्पताल में भर्ती करने से इनकार कर दिया.
डॉक्टर से गुहारें लगाती मुन्नाज
    रौनक को भर्ती से इनकार की वजह जो मुन्नाज ने बताई उसे जानें तो अस्पताल प्रशासन से किसी को भी घृणा होने लगेगी.दरअसल सरकारी योजना के तहत अस्पताल में प्रसव होने पर मरीज को सरकार की ओर से कुछ सहायता राशि मिलती है और साथ ही साथ नर्सों व कर्मचारियों को भी कुछ कमीशन मिल जाता है.अब रौनक प्रवीण तो प्रसव कक्ष में माँ बनी नहीं और माँ बनने  से पूर्व अस्पताल में भर्ती भी नही हुई.यानि, नर्सों और कर्मचारियों को रौनक के केस में कोई पैसा तो मिलना है नही,तो अब रौनक मरे या बचे.जहाँ इन्हें आमदनी नही मिलने की बात है वहां ये मानवता कैसे प्रदर्शित करें.इससे तो ऐसा ही लगता है कि मरीजों के प्रति सहानुभूति ये पैसे के ही लोभ में ही प्रदर्शित करते हैं.साथ आई मुन्नाज रौनक को भर्ती करवाने के लिए चिल्लाती रही,पर मुन्नाज की आवाज इन जल्लादों के कान तक असर करने के लिए नाकाफी थी.इस बीच रौनक जमीन पर गिरी छटपटा रही थी पर अस्पताल के कर्मचारियों की मानो मानवता ही मर गयी थी.हमारे कैमरे को देखकर एक डॉक्टर पूछने आये,सोचा कि कहीं बात न बढ़ जाए.आश्वासन दिया कि देखते हैं.
     रौनक की जमीन पर छटपटाहट,मुन्नाज का रोना और चिल्लाना देखकर तो ऐसा ही लगता था कि सदर अस्पताल मधेपुरा के लिए सुशासन एक मखौल की तरह है.ऐसे में अगर कुछ लोगों का दावा है कि बिहार अब भी नही सुधरा है तो इसकी वजह ऐसे ही लोग हैं.
ये अस्पताल है या कसाईखाना:सुशासन की खुल रही पोल ये अस्पताल है या कसाईखाना:सुशासन की खुल रही पोल Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 17, 2011 Rating: 5

3 comments:

  1. Hospitals ka nirman dard se rahat ke liye hota hai.Aise Doctors jo dard ko aur bhi badhane ka kam karte hai ko ghar pe aaram ki jarurat hai.

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  2. Hospitals ka nirman dard se rahat ke liye hota hai.Aise Doctors jo dard ko aur bhi badhane ka kam karte hai ko ghar pe aaram ki jarurat hai.

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  3. Administration is not going to do anything in "RAUNAK" case as past record says, what needs to be done is Civil Society (without involving politicians) should come forward and ask the responsible to do their job for which they are accountable.

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