क्या मधेपुरा डीएम साजिश के शिकार हुए?

पंकज भारतीय/ १४ जून २०१०
उ०प्र० के जालौन जिला के उरई के कोतवाली पुलिस स्टेशन में दर्ज मधेपुरा के डीएम बीरेन्द्र यादव के मामले में फिलहाल गुत्थी सुलझती नजर नहीं आ रही है. मालूम हो कि उरई के ही ईटो निवासी सुमनलता के परिवाद्पत्र पर न्यायालय के आदेश पर २७ मई को उरई कोतवाली में बिहार के मधेपुरा के डीएम बीरेन्द्र यादव के विरूद्ध रिश्ता तय होने के बाद झांसा देकर बलात्कार करने तथा दहेज की मांग को लेकर शादी से मुकरने का मुकदमा दर्ज किया गया था. मामले के अनुसंधानकर्ता गणेश प्रसाद पीडिता सुमनलता द्वारा लिखाए उसके पते पर चार बार जा चुके हैं पर अभी तक वे पीडिता से मिलने में सफल नहीं हो सके.
पीडिता की बहन विभा और भाई पवन गुप्ता से अनुसंधानकर्ता को सिर्फ इतनी ही जानकारी मिल रही है कि वह बाहर गयी है. सुमनलता जालौन जिला के उरई के ईटो गांव की मूलवासी है तथा उरई के सुशील नगर में रहती है.सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पीडिता ने दर्ज मामले में जो पता लिखाया वो सुशील नगर के ऑफिसर्स कॉलोनी का है,जो सटीक पता नहीं है. वास्तव में ये पाया गया कि वह सुशील नगर के ही एस आर वर्मा के घर में किराए में रह रही थी पर अभी 'शहर से बाहर' है. ईटो गांव में भी जब उसके माता-पिता से मिलने का प्रयास किया गया तो वहां भी उसके घर कोई नहीं मिला. पड़ोसियों ने बताया कि पिता अस्वस्थ थे और पत्नी के साथ इलाज हेतु ग्वालियर गए हैं.
       हाल में ही प्रकाश में आया एक अन्य मामला भी पीडिता के परिवार को संदेह के घेरे में ला खड़ा किया है. पीडिता के भाई पवन गुप्ता ने अपने एक मित्र शिवम पालीवाल और उसके परिवार के लोगों के खिलाफ चार लाख रूपये की ठगी का मुकदमा कोतवाली में ही दर्ज करवाया है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह ब्लैकमेल करने की नीयत से है.हालाँकि कोतवाली प्रभारी निरीक्षक मंगला प्रसाद तिवारी कहते हैं कि पूरे मामले की जाँच निष्पक्षता से करवाई जा रही है.
   डीएम के विरूद्ध पीडिता द्वारा दर्ज करवाए आवेदन में भी आरोपी बीरेन्द्र यादव के पद का उल्लेख नहीं किया गया है. ऐसे में पूरे मामले में शक की सूई पीडिता और उसके परिवारवालों पर उठना लाजिमी है.
  ऐसी चर्चा है कि मधेपुरा डीएम के तथाकथित कुछ शुभचिंतकों ने ही डीएम को अपने साजिश का शिकार बनाया है. आम लोगों के बीच यह भी चर्चा है कि मधेपुरा के कुछ लोगों और पदाधिकारियों ने उरई (उ०प्र०) का दौरा किया था जिसके बाद ही सुमनलता द्वारा परिवाद दायर किया गया.सूत्रों की माने तो सुमनलता की इस साजिश में केन्द्रीय सेवा के तीन उच्चाधिकारी भी शामिल हैं. जो भी हो,चूँकि मामला एक बड़े पदाधिकारी की इज्जत से जुड़ा हुआ है,अत: पूरे मामले की जांच तो किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराई ही जानी चाहिए.वैसे ये मामला मधेपुरा जिले की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा हुआ है जहाँ पूर्व में डीएम हेमचन्द्र झा पर घूस लेने का आरोप,एक अन्य डीएम राजेश कुमार पर भी उनकी पत्नी द्वारा लगाए चारित्रिक हीनता के आरोपों से मधेपुरा की जनता पहले से ही आहत है.मधेपुरा की जनता अब इस इन्तजार में है कि जल्द ही मामले में किसी तरह की प्रगति हो और सच का खुलासा हो सके.दूसरी और सार्वजनिक रूप से या प्रेस के माध्यम से डीएम द्वारा अपनी सफाई प्रस्तुत नहीं करना मधेपुरा डीएम को भी संदेह के घेरे में खड़ा करता है.सिर्फ यह कह देने से कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नही है बात समाप्त नहीं हो जाती है.चारों और अफवाह का धुँआ उठ रहा है जो इस बात का इशारा करती है कि कहीं न कहीं आग जरूर जल रही है. यदि बीरेन्द्र यादव निर्दोष हैं तो उन्हें इसका प्रमाण भी प्रस्तुत करना चाहिए और यदि वे साजिश का शिकार हो रहे हैं तो इसका भी खुलासा होना ही चाहिए.
(कुछ अंश टाइम्स ऑफ इंडिया और दैनिक जागरण से साभार).
क्या मधेपुरा डीएम साजिश के शिकार हुए? क्या मधेपुरा डीएम साजिश के शिकार हुए? Reviewed by Rakesh Singh on June 15, 2010 Rating: 5

1 comment:

  1. If any girl try to fight against such crime but how she go ahead when media write with head line 'KYA MADHEPURA DM SHAJIS KE SHIKAR HUYE'. In this situation, it is not easy way for a girl in INDIA. I know very well about such officers and they must be punished and even terminated. Inhe kaun shajis ka shikar banayega, ye dusro ko sajish ka shikar bana lete hain.

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