जन संवाद कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने मुरलीगंज की महत्ता और विकास की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की। सामाजिक कार्यकर्ता विकास आनंद ने कहा कि मुरलीगंज वर्तमान में कोसी कमिश्नरी की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण व्यावसायिक मंडियों में से एक है। यहाँ पटसन, आलू और मक्का जैसी प्रमुख फसलों की सीधी बिक्री मंडियों के माध्यम से होती है। उन्होंने बताया कि कभी इस मंडी को "किसानों का स्वर्ग" कहा जाता था। इसके अलावा, कपड़ा और अनाज का व्यवसाय देश की विभिन्न मंडियों से यहाँ वर्षों से होता रहा है, जिससे यह बाजार कपड़ा मंडी के रूप में देशभर में प्रसिद्ध हुआ है।
कार्यक्रम में बाबा दिनेश मिश्रा ने मुरलीगंज में कृषि विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह इलाका कृषि प्रधान है और यहाँ पर्याप्त जमीन उपलब्ध है, जिससे फूड पार्क एवं फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जा सकती है। इससे किसानों को उनके उत्पादों का सही मूल्य मिल सकेगा और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
प्रशांत कुमार ने स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली की ओर इशारा करते हुए कहा कि मुरलीगंज में एक रेफरल अस्पताल की अधिसूचना तो जारी हुई है, लेकिन यह अब भी सिर्फ कागजों तक सीमित है। मधेपुरा स्थित जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज में अत्याधुनिक मशीनें होने के बावजूद वह भी एक रेफरल अस्पताल की तरह ही कार्य कर रहा है। एमआरआई, सीटी स्कैन जैसी सुविधाओं के अभाव में मरीजों को बाहर जाना पड़ता है।
स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि मुरलीगंज में रेलवे स्टेशन, मालगोदाम, राष्ट्रीय राजमार्ग, कॉलेज, अस्पताल, हाई स्कूल, सर्किट हाउस जैसे सभी बुनियादी ढांचे मौजूद हैं। एक राष्ट्रीयकृत बैंक, एक निजी बैंक और प्रमुख ट्रांसपोर्ट कंपनियों के कार्यालय भी यहां संचालित हो रहे हैं। इसके बावजूद अब तक मुरलीगंज को अनुमंडल का दर्जा नहीं मिलना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
कार्यक्रम के अंत में अमिताभ दुबे ने कहा कि मुरलीगंज की जनता की भावनाओं और क्षेत्र की संभावनाओं को गंभीरता से लिया जाएगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि संवाद के दौरान उठाई गई कुछ प्रमुख मांगों को कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में अवश्य शामिल किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो इन मांगों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाएगा।

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