tag:blogger.com,1999:blog-1937795720652477358.post3262308888150842580..comments2024-03-18T12:44:31.915+05:30Comments on MadhepuraTimes : बाबा निकले पूरी तरह ‘फ्रेश’, समाधि स्थल के अन्दर है एक दूसरा भी दरवाजा: प्रशासन खोले दूसरे दरवाजे का राज!Rakesh Singhhttp://www.blogger.com/profile/03872957954627640516noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1937795720652477358.post-81634513324672937262016-03-13T23:53:40.402+05:302016-03-13T23:53:40.402+05:30आपके विचारों से मैं सहमत हूँ। परंतु क्या आप यह मान...आपके विचारों से मैं सहमत हूँ। परंतु क्या आप यह मानते हैं कि विज्ञान इतना विकसित हो चुका है कि वो सारे सवालों का प्रमाणिकता के साथ जबाब दे पाये। शायद विज्ञान के विशेष ज्ञान के ऊपर की बात है साधना की शक्ति। भारत में ऐसे सैकड़ों नहीं लाखों उदाहरण हैं जो साधकों के ओजस्वी कहानियों से प्रमाणिकता के साथ भरे पड़े हैं। कुछ दिन पहले जब एक भारतीय सेना के जबान को बर्फ से जिंदा निकाला गया था तो उस समय विज्ञान की बोलती बंद हो गयी थी। प्रशासन के द्वारा कानूनी डंडे चलाने की आपकी परिकल्पना को मैं समझ सकता हूँ परंतु मुझे यह सम़झ नहीं आ रहा है कि सियाचिन के ग्लैशियरों पर लड़ने जाने से पहले हमारी सेना भी एक शहीद हुए सेना की स्मृति में बनाये मंदिर में जाकर हाजिरी क्यों बजाती है।<br />खैर आध्यात्म और साधना विज्ञान के ज्ञान से ऊपर की चीज है ।आपने पूरे चौसा को अशिक्षितों का जमात समझा इसके लिये हम मुक्त कंठ से आपका और आपके सोच का निंदा करते हैं।Kundan Ghosaiwalahttps://www.blogger.com/profile/01213037515184638478noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1937795720652477358.post-15483767666631317722016-03-13T23:52:24.109+05:302016-03-13T23:52:24.109+05:30आपके विचारों से मैं सहमत हूँ। परंतु क्या आप यह मान...आपके विचारों से मैं सहमत हूँ। परंतु क्या आप यह मानते हैं कि विज्ञान इतना विकसित हो चुका है कि वो सारे सवालों का प्रमाणिकता के साथ जबाब दे पाये। शायद विज्ञान के विशेष ज्ञान के ऊपर की बात है साधना की शक्ति। भारत में ऐसे सैकड़ों नहीं लाखों उदाहरण हैं जो साधकों के ओजस्वी कहानियों से प्रमाणिकता के साथ भरे पड़े हैं। कुछ दिन पहले जब एक भारतीय सेना के जबान को बर्फ से जिंदा निकाला गया था तो उस समय विज्ञान की बोलती बंद हो गयी थी। प्रशासन के द्वारा कानूनी डंडे चलाने की आपकी परिकल्पना को मैं समझ सकता हूँ परंतु मुझे यह सम़झ नहीं आ रहा है कि सियाचिन के ग्लैशियरों पर लड़ने जाने से पहले हमारी सेना भी एक शहीद हुए सेना की स्मृति में बनाये मंदिर में जाकर हाजिरी क्यों बजाती है।<br />खैर आध्यात्म और साधना विज्ञान के ज्ञान से ऊपर की चीज है ।आपने पूरे चौसा को अशिक्षितों का जमात समझा इसके लिये हम मुक्त कंठ से आपका और आपके सोच का निंदा करते हैं।Kundan Ghosaiwalahttps://www.blogger.com/profile/01213037515184638478noreply@blogger.com