एक अधिकारी का स्टिंग वीडियो मधेपुरा टाइम्स
ने पिछले सप्ताह से दिखाना शुरू किया है. कुछ लोगों ने इसपर आपत्ति दर्ज कराते कहा कि
यह पत्रकारिता नहीं है और किसी के ‘प्राइवेट लाइफ’ को ‘पब्लिक’ करना गलत बात है.
स्टिंग
ऑपरेशन का तीसरा वीडियो आज हम आपको दिखाते हुए यह कहना चाहेंगे कि किसी भी
सम्मानित पद धारण करने वाले व्यक्ति को निजी जिंदगी में भी आचरण सही रखना चाहिए.
अच्छे अधिकारी/व्यक्ति को बहुत सारे लोग आदर्श मानते हैं और उनका अनुकरण करने की
भी सलाह दी जाती है. यदि ऐसा न होता तो महापुरुषों की जीवनी हमारे सिलेबस का पार्ट
नहीं हुआ करता. सिर्फ ये कहकर हम पल्ला नहीं झाड़ सकते कि यदि किसी बड़े पद को
सुशोभित करने वाला व्यक्ति निजी जिंदगी में चरित्रहीन और व्याभिचारी हो तो उसे छूट
है. लेकिन पत्नी के साथ विश्वासघात कर दूसरी महिला में सेक्स तलाश करने वाले
व्यक्ति को यदि हम समाज की गंदगी बताने में लगे हैं तो आपकी आपत्ति हमारी समझ से
परे है. हां, यदि किसी की पत्नी के साथ के अन्तरंग संबंधों को यदि हम दिखाते हैं तो जरूर निजता का हनन होता है. एक अधिकारी जिनकी तरफ जिले के लाखों गरीब निवाले के लिए मुंह ताक रहे हैं
और वह अय्यास अधिकारी उनकी चिंता छोड़ पराई लड़कियों में अपनी भूख मिटाता फिर रहा
हो, तो मधेपुरा जैसे जिले का विकास तो होने से रहा. हम आपको एक बात और अनुभव के
आधार पर बता रहे हैं कि निजी जिंदगी में भ्रष्ट व्यक्ति की पद पर आसीन रहते
कार्यशैली भी भ्रष्ट ही होती है. उदहारण वीडियो वाले भाई साहब हैं, जिनके भ्रष्ट
कार्यों का पूरा चिट्ठा उनके कार्यालय के पुराने फाइलों में दबा हुआ है और मधेपुरा
टाइम्स के कार्यालय की भी शोभा बढ़ा रहा है.
अंत में
हम यही कहना चाहेंगे कि पाठक हमारी मंशा पर बिलकुल शक न करें. हम सिर्फ और सिर्फ
सिस्टम में सुधार चाहते हैं. यदि ऐसा न होता और हमने पत्रकारिता सीखी होती तो कई
मीडिया वालों की तरह हम भी इस वीडियो से ब्लैकमेल कर लाखों में खेल रहे होते.
रासलीला का वीडियो भाग-3 देखने के लिए इस लिंक को खोल कर उसमे सबसे नीचे देखें. यहाँ
क्लिक करें. वीडियो का चौथा भाग जल्द ही.
(मधेपुरा
टाइम्स ब्यूरो)
क्यूं न दिखाएँ हम चरित्रहीन अधिकारी का स्टिंग ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 09, 2013
Rating:

SAHARSA TIMES AAPKO BAHUT BAHUT BADHAI DETA HAI IS KAM KE LIYE WO IS LIYE KI ABHI KE SAMAY ME ISTRAH KA KAM BAHUT HI CHUNAUTIPURN KAM HAI... BEST OF LUCK FOR SUCH TIPES OF WORK.... I SALUTE OF YOUR WORK WWW.SAHARSATIMES.COM
ReplyDeleteIt isn't journalism... shame on you guys.. and i utterly disagree with your above elucidation.. really awful...
ReplyDelete#Shame_on_you
हालाँकि Madhepura speaks एक फेक प्रोफाइल है, फिर भी पारदर्शिता दिखाते हुए हमने इसकी टिप्पणी प्रकाशित कर दी है.
ReplyDeleteपद उंचा काम नीचा ऐसे डीडीसी को बेकार गोवरमेन्ट जॉब में रखा है इसे जल्द से जल्द डीडीसी से चपरासी पद पर भी रखना सरकार की गलती होगीा
ReplyDeleteखैर मधेपुरा जिले में पत्रकार तो है बदनाम कुछ नशेरी और गंजेरी पत्रकारों की वजह से जो अपने आप को पत्रकार कहता हैा ऐसे पत्रकारों का कोई ठीक नहीं कब न्यायालय इसे जेल भेज देगी
मुझे दो समाचार पत्र अच्छा लगता है वह है दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान ा बात बाकी गंजेरियों का समाचार बैवकूफ ही पढेगा