रहमदिल नेताईन ने नेताजी से,
जनहित में कुछ कीजिए,
अब बहुत खून बहा.
जाति-धर्म की ओट में चलता,
राजनीति का खेल;
निर्दोष सदा ही मारे जाते हैं,
आपस में रहा न मेल.
बेचारी जनता सीधी है,
उसे बचा लो नाथ!
सदा रहेगी साथ.
..........
दार्शनिक अंदाज में नेता बोला,
सुन मेरी भोली;
चुनाव भी जीता मैनें,
खेलकर खून की होली.
ग्राहक,मौत और मतदाता को,
समझो कभी न अपना,
चिंता तू मत कर प्यारी,
व्यर्थ है यह सपना.
--पी० बिहारी ‘बेधड़क’, मधेपुरा
व्यर्थ है यह सपना
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 18, 2012
Rating:
बढ़िया ..
ReplyDeletesite me weather forcasting only madhepura zila ka ek parmanent source code insert kar de jo har 4 hour per updated
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