दलित बस्ती में नल से निकल रहा दूषित और पीला जल, पीने के लिए मजबूर

गर्मी बढ़ गई, पारा आसमान छूने को है, चारों ओर पानी के लिये त्राहिमाम मचा है और स्वच्छ पेयजल के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही हैं.

मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत जोरगामा पंचायत में  मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के अंतर्गत नल जल योजना जो लाखों की लागत तैयार किया किए गए, यहाँ टांय-टांय-फिस्स होती नजर आ रही है. जोरगामा पंचायत के वार्ड नंबर 2 में बलुआहा नदी के किनारे बसा हुआ आदिवासी दलित मोहल्ले के लोग शुद्ध पानी के अभाव में जीने को विवश हैं. नदियों का पानी बहुत ज्यादा पीलापन लिए हुए है जिसे वे पीने के लिए मजबूर हैं और यही हाल नल के पानी का है. आज दिन के 10:00 बजे कुछ आदिवासी महिलाओं द्वारा सड़क के किनारे गंदे एवं दूषित जगह से बर्तनों में पानी भरते हुए देखा गया तो पूछने पर उन्होंने बताया कि हमारी मजबूरी है गंदा एवं पीला पानी पीने की.  

ग्रामीणों ने मौके पर जानकारी देते हुए बताया कि हम बलुआहा नदी के किनारे वार्ड नंबर एक के निवासी हैं. नदी का पानी काफी प्रदूषित है और उसे हम व्यवहार में नहीं ला सकते हैं. नल जल योजना के तहत वार्ड में एक और दो जगह पाइप बिछाकर खानापूर्ति की गई है, जिस पर हम सभी इकट्ठे होकर नियत समय पर पानी भरते हैं. वह पानी भी पिछले छह-सात महीने से गंदगी एवं पीलापन लिए आ रहा है. इसकी शिकायत करने के लिए, जहां पानी टंकी सोलर पंप से चलाया जाता है, गए भी कि कम से कम टंकी की सफाई कर और जल शुद्धिकरण के लिए लगाए गए फिल्टर बदलाव कर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की जाए. पर बार-बार शिकायत करने के बावजूद हम दलितों की कौन सुनने वाला है? पिछले दिनों मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत उन जलापूर्ति के पाइपों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया, अब मात्र समूचे वार्ड में एक जगह से ही हम लोग अपने पैसे से पाइप लगाकर किसी तरह जल निकाल रहे हैं. वार्ड नंबर 2 के निवासी प्रमोद कुमार ने बताया कि कई महीनों से पानी के गंदा आने की शिकायत सप्लाई वाले कर्मचारी से कर रहे हैं पर वह कहता है कि हम सिर्फ चलाना और बंद करना जानते हैं, यह काम मेरा नहीं है.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉक्टर राजेश कुमार इस विषय में जानकारी मांगने पर कि ऐसे पानी पीने से स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है तो उन्होंने बताया कि गर्भावस्‍था के दौरान महिलाओं को अपने खानपान के प्रति अति सजग होना पड़ता है। जरा सी लापरवाही न सिर्फ उनकी बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत के लिए भी हानिकारक हो सकती है। खासतौर पर पीने के पानी को लेकर एहतियात बरती जानी और भी जरूरी होती है। एक ताजा अध्‍ययन में इस बात की पुष्टि हुई है कि अगर गर्भवती महिला शुद्ध पानी न पिए, तो शिशु को गंभीर समस्‍याएं हो सकती हैं।

जानकारी दी गई कि पानी पीते वक्‍त इसकी स्‍वच्‍छता का ध्‍यान रखें, क्‍योंकि इसमें मौजूद विभिन्‍न तरह के रसायन हमारे स्‍वास्‍थ्‍य पर नकारात्‍मक प्रभाव डालते हैं। फ्लोराइड एक ऐसा ही रसायन है जो दूषित पानी में मौजूद होता है। पानी में मौजूद फ्लोराइड के कारण दांतों में पीलापन, हड्डियों का कमजोर होना, पेट की समस्‍या होना आदि कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍यायें हो सकती हैं। इसलिए आप जो भी पानी पी रहे हैं उसमें यह सुनिश्चित कर लें कि वह पूरी तरह स्‍वस्‍थ और और उसमें फ्लोराइड जैसे रसायन मौजूद न हों। 

प्रखंड विकास पदाधिकारी मुरलीगंज ललन कुमार चौधरी से इस विषय में जानकारी मांगने पर उन्होंने बताया कि इस विषय में मुझे जानकारी नहीं दी गई है कि वहां नल जल योजना चालू है. अगर इस तरह की समस्या है तो हम जल्द से जल्द पीएचईडी डिपार्टमेंट  को स्वच्छ पेयजल पहुंचाने की दिशा में की जा रही लापरवाही पर आवश्यक कार्रवाई की अनुशंसा करेंगे.
वही इस विषय में कनीय अभियंता पीएचडी डिपार्टमेंट से संपर्क करने की कोशिश की गई पर उनके चलभाष मोबाइल नंबर 935977 9967 घंटी बजती रही पर उठाना मुनासिब नहीं समझा.
दलित बस्ती में नल से निकल रहा दूषित और पीला जल, पीने के लिए मजबूर दलित बस्ती में नल से निकल रहा दूषित और पीला जल, पीने के लिए मजबूर Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 23, 2018 Rating: 5
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