अल्स्टाॅम ने मधेपुरा में पूर्णतः-इलेक्ट्रिक ‘मेक इन इंडिया‘ लोकोमोटिव किया पूरा

अल्स्टाॅम ने बिहार राज्य   के मधेपुरा में अपनी अत्याधुनिक लोकोमोटिव इकाई से अपना पहला इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव तय समयसीमा पर पूरा करने की घोषणा की है। 


सरकार और भारतीय रेलवे के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण के लक्ष्य और स्थायित्वपूर्ण गतिशीलता की दिशा को साकार करते हुए ये नए लोकोमोटिव न केवल रेलवे की परिचालन लागत को कम करेंगे, बल्कि इससे ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में काफी कटौती होगी।

यह पहला लोकोमोटिव 2015 में हुए 3.5 बिलियन यूरो की कीमत वाले ऑर्डर का हिस्सा है। इसमें 800 इलेक्ट्रिक डबल-सेक्शन लोकोमोटिव्स शामिल हैं, जो देश की रेल आधारभूत संरचना के आधुनिकीकरण के लिए रेल मंत्रालय के सार्वजनिक-निजी भागीदारी कार्यक्रम में योगदान देता है। यह अनुबंध रेलवे क्षेत्र का आज तक का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बना हुआ है और इस अनुबंध की अर्थव्यवस्था में बेहतर प्रभाव पैदा करने में एक रणनीतिक भूमिका है। यह अनुबंध अल्स्टॉम के इतिहास में सबसे बड़ा अनुबंध है।

अलस्टॉम के चेयरमैन और सीईओ हेनरी-पोपार्ट लाफार्ज ने कहा, ‘‘भारत में हमारे परिचालन वैश्विक स्तर पर हमारे व्यापार के लिए सर्वोपरि है और हम भारत की बुनियादी ढांचे की जरूरतों को विकसित करने, नागरिकों को सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने और देश की अर्थव्यवस्था में निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।‘‘

पहले इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के पूरा होने पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, यह परियोजना ‘‘मेक इन इंडिया‘‘ के लिए अल्स्टॉम की प्रतिबद्धता का एक बेहतरीन नमूना है। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर हजारों लोगों को रोजगार देने के अलावा हमने इस परियोजना के लिये एक सुदृढ़ स्थानीयकृत आपूर्ति श्रृंखला है। इसके 90 प्रतिशत कंपोनेंट्स स्थानीय स्तर पर प्राप्त किये गये हैं।‘‘ 

अलस्टॉम की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि 12,000 हाॅर्सपावर की ताकत वाला, प्रत्येक डबल सेक्शन लोकोमोटिव्स अल्स्टाॅम प्राइमा लोकोमोटिव्स परिवार का हिस्सा है, जिसकी ढुलाई क्षमता 6,000 टन और रफ्तार 120 किमी/घंटा है। इस इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स की ये खूबियां भारी मालवाहक ट्रेनों को तेज गति से चलने और पूर्ण सुरक्षा की छूट देती हैं, जिससे यात्री और मालवाहक ट्रेनें एक दूसरे के नजदीक नहीं आ पातीं। आईजीबीटी युक्त प्रोपल्शन टेक्नोलाॅजी  वाले उपकरणों से लैस ये लोकोमोटिव्स माल परिवहन के भारतीय मानकों का पालन करते हैं और इनमें कठिन भारतीय जलवायु व परिस्थितियों का सामना करने की अद्भुत काबिलियत है।

एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत अल्स्टॉम ने लगभग 75 मिलियन यूरो मूल्य के तीन अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं- मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) से बिजली आपूर्ति अनुबंध, चेन्नई मेट्रो रेल निगम से नई ट्रेन सेट के अनुबंध और जयपुर मेट्रो रेल कारपोरेशन से एक अन्य बिजली सप्लाई अनुबंध। यह घटनाक्रम अल्स्टाॅम के भारत में बढ़ते कदमों को जाहिर करता है, फिर वह चाहे शहरी क्षेत्र हो या फिर मेनलाइन स्पेस में।

इसके अतिरिक्त, मधेपुरा में विद्युत लोकोमोटिव सुविधा के निर्माण का फेज 1 और सहारनपुर में डिपो का काम पूरा हो गया है और अनुबंध की समयसीमा के अनुसार कार्य प्रगति पर है। मधेपुरा और इसके आसपास रहने वाले युवाओं की प्रतिभा को निखारने के लिए स्थानीय लोगों को रोजगार देने पर जोर दिया जा रहा है। उनके कौशल विकास के लिए कोशिशें शुरू की जा चुकी हैं। अल्स्टाॅम फाउंडेशन (अल्स्टाॅम की लोकहितैषी इकाई), स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों की मदद से क्षेत्र में बेहतर जीवन, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए कार्य कर रहा है।
(ए.सं.)
अल्स्टाॅम ने मधेपुरा में पूर्णतः-इलेक्ट्रिक ‘मेक इन इंडिया‘ लोकोमोटिव किया पूरा अल्स्टाॅम ने मधेपुरा में पूर्णतः-इलेक्ट्रिक ‘मेक इन इंडिया‘ लोकोमोटिव किया पूरा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 10, 2018 Rating: 5
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