छात्रा दुर्व्यवहार कांड: 8 छात्राओं के हस्ताक्षर हैं FIR में, जानिए धाराएँ हैं कितनी संगीन !

गत शुक्रवार की मधेपुरा शहर की घटना की चारो और भर्त्सना हो रही है और कांड में अबतक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और दो की गिरफ्तारी बाकी है. 

दर्ज कराए गए एफआईआर में घटना के शिकार कुल आठ छात्राओं के हस्ताक्षर हैं. जबकि मुख्य रूप से एक छात्रा ने फर्द बयान दर्ज कराया है और घटना का विवरण दिया है. सूचिका तथा अन्य छात्राओं का नाम हम अब इसलिए नहीं लिख रहे हैं या काल्पनिक लिखेंगे, जबतक उक्त छात्रा/छात्राओं की इसपर सहमति नहीं मिल जाती है क्योंकि फर्द ब्यान के आधार पर लगाई गई धाराओं में ऐसी भी संगीन धारा है, जो महिला को नग्न करने के प्रयास से सम्बंधित है. 

FIR में कुल पांच अभियुक्त बनाये गए हैं 1. शम्भू भगत, पिता- स्व० रघुनन्दन भगत, साकिन- भिरखी, वार्ड नं. 23, थाना व जिला- मधेपुरा तथा 2. भोला कुमार, पिता- जयप्रकाश साह, साकिन- धमदाहा, जिला- पूर्णियां 3. दीपक कुमार, पिता- अजय यादव, साकिन- भिरखी नवटोलिया 4. विक्रम कुमार, पिता- नामालूम, साकिन- गणेश स्थान एवं 5. अमित कुमार, पिता- नामालूम, साकिन- भिरखी, वार्ड नं. 22, सभी- थाना व जिला- मधेपुरा.

इनके विरूद्ध लगी धाराएँ हैं, 341, 323, 354 (B), 354 (D), 504, 34 IPC तथा 66 I.T. Act. भारतीय दंड संहिता की धारा 341 किसी व्यक्ति को गलत तरीके से रोकना है, जमानतीय है और एक महीने तक की सजा या 500 रू० तक फाइन या दोनों की सजा का प्रावधान है. 

धारा 323 आईपीसी जानबूझकर चोट पहुँचाना है, जमानतीय है, जिसमें एक साल तक की सजा, एक हजार रूपये दंड या दोनों का प्रावधान है. 

धारा 354 (B) आईपीसी इस मुकदमे की सबसे संगीन धारा है जो न सिर्फ गैर-जमानतीय है बल्कि इसमें कम से कम तीन साल और अधिक से अधिक सात साल की सजा का प्रावधान है और इसमें अर्थदंड की लगाया जा सकता है. यह धारा किसी पुरुष द्वारा अपराध बोध रखते हुए बल पूर्वक या हमले द्वारा किसी महिला को नग्न करना या नग्न करने के लिए विवश करना है. 

धारा 354 (D) आईपीसी किसी महिला का पीछा करना और बिना उसकी इच्छा के उससे कॉन्टेक्ट का प्रयास करना है. इसमें इंटरनेट, ईमेल या अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण से ऐसा करना भी शामिल है. पहली बार में ये धारा जमानतीय और इसमें तीन साल तक की सजा का प्रावधान है, जबकि दूसरी बार में ये अजमानतीय और इसमें पांच साल तक की सजा का प्रावधान है. 

धारा 504 आईपीसी लोक शान्ति भंग करना है, जमानतीय धारा है और दो वर्ष तक की सजा या अर्थदंड या दोनों का प्रावधान है जबकि धारा 34 आईपीसी सामूहिक रूप से अपराध कारित करने से सम्बंधित है. 

आईटी एक्ट की धारा 66 कम्प्यूटर (यहाँ मोबाइल) से सम्बंधित अपराध है जिसमें तीन साल तक की सजा या एक लाख रूपये तक का अर्थदंड या दोनों का प्रावधान है.

यहाँ हम कुछ बातें और बताना चाहते हैं कि आईपीसी की धारा 354 (B) और 354 (D) दिल्ली की बहुचर्चित दामिनी कांड के बाद किमिनल लॉ (एमेंडमेंट) एक्ट 2013 के द्वारा जोड़ी गई है और आईटी एक्ट की धारा 66A को हाल में हटाया गया था, जबकि यहाँ लगाईं धारा 66 आईटी एक्ट मौजूद है. इसके अलावे जमानतीय धाराओं का अर्थ पुलिस के द्वारा ही जमानत देने से है जबकि अजमानतीय धारा के लिए अभियुक्त को न्यायालय के समक्ष जमानत आवेदन देकर प्रार्थना करनी होती है.

अब देखना है कि इस वाद में अभियुक्तों को गिरफ्तारी के कितने दिन के बाद जमानत मिल पाती है. क़ानून की किताबों का अध्ययन और न्यायालय के बीस वर्षों के अनुभव के आधार पर मुझे इस वाद में अग्रिम जमानत की सम्भावना काफी कम लगती है. गिरफ्तारी या आत्मसमर्पण की स्थिति में न्यायालय में पुलिस केश डायरी की मांग की जा सकती है, जो इस वाद को निर्णायक दिशा प्रदान करेगी.

(बिहार कवरेज पर इसी मुद्दे पर लेखक के विचार पढ़ें: बस… बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ अब और नहीं


छात्रा दुर्व्यवहार कांड: 8 छात्राओं के हस्ताक्षर हैं FIR में, जानिए धाराएँ हैं कितनी संगीन ! छात्रा दुर्व्यवहार कांड: 8 छात्राओं के हस्ताक्षर हैं FIR में, जानिए धाराएँ हैं कितनी संगीन ! Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 21, 2018 Rating: 5
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