शिक्षण दुनियाँ की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी और सबसे बड़ा धर्म है: कुलपति

शिक्षण दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी और सबसे बड़ा धर्म है। हमारे शिक्षक नियत समय पर पूरी तैयारी के साथ कक्षा में जाएं। विद्यार्थियों को कक्षा में आने हेतु प्रेरित करें।

एक भी विद्यार्थी आएं, फिर भी पूरे मन से पढाएं। रूटीन का पालन सुनिश्चित करें। जिन विषयों में शिक्षक नहीं हैं, उन विषयों को भी पढाने का प्रयास करें।

यह बात कुलपति प्रोफेसर डॉ.  अवध किशोर राय ने कही। वे सोमवार को एम. एल. आर्य कालेज, कसबा में आयोजित 'संहति' (प्रेक्षागृह एवं परीक्षा भवन) के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन कालेज को नैक से 'बी' ग्रेड मिलने के बाद किया गया था।

कुलपति ने सर्वप्रथम नैक से सम्मानजनक ग्रेड मिलने पर कालेज के सभी शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को बधाई दी। साथ ही उन्होंने कहा कि नैक से 'बी' ग्रेड मिलने के बाद हम सबकी जिम्मेदारी बढ गयी है। अब हमें नैक के मापदंडों के अनुरूप यहाँ पठन-पाठन का माहौल बनाना है। इसमें शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों, अभिभावकों, जनप्रतिनिधियों एवं मीडियाकर्मिर्यों सबके सहयोग की जरुरत है।

कुलपति ने विशेषरूप से विद्यार्थियों से अपील की कि वे कक्षाओं में आएं और शिक्षकों के ज्ञान का समुचित लाभ उठाएं। यदि निर्धारित रूटीन के अनुरूप कक्षाएं नहीं हो, तो विद्यार्थी उन्हें दूरभाष पर सूचना दें। कुलपति ने जोङ देकर कहा कि ट्यूशन या कोचिंग कभी भी कालेज की कक्षा का विकल्प नहीं हो सकते हैं। अतः सभी विद्यार्थी नियमित रूप से कक्षा में आएं। नैक मूल्यांकन एवं अन्य कार्यों की भी तभी सार्थकता होगी, जब विद्यार्थी कक्षा में आएंगे।

कुलपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास है। विद्यार्थियों का न केवल शारीरिक एवं मानसिक, वरन् आत्मिक एवं नैतिक रूप से भी विकास अपेक्षित है। यह गुरू के सानिध्य में रहकर ही संभव है।

कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के विकास में विद्यार्थियों की अहम भूमिका है और उनका हित सर्वोपरि है। हमारे विद्यार्थी पठन-पाठन, खेल-कूद, कला-संस्कृति सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन की क्षमता रखते हैं। यहाँ की प्रतिभाओं को सकारात्मक दिशा देने की जरुरत है। 

कुलपति ने कहा कि शिक्षा के चार स्तंभ हैं- शिक्षक, विद्यार्थी, कर्मचारी और अभिभावक। सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का सम्यक् निर्वहन करें। विद्यार्थी पढाई पर ध्यान केंद्रित करें। शिक्षक भी शिक्षण एवं शोध में दिनरात लगे रहें। कर्मचारी ससमय अपने फाइलों का निष्पादन करें। अभिभावक भी सजग रहें और शिक्षा के विकास में महती भूमिका निभाएं।
प्रतिकुलपति प्रोफेसर डॉ.  फारूक अली ने कहा कि विश्वविद्यालय सत्र नियमित करने हेतु प्रतिबद्ध है। हम समय पर कक्षा एवं परीक्षा हेतु प्रयासरत हैं।  सभी महाविद्यालयों से सत्र 2017-18 में नामांकित छात्रों की सूची माँगी गयी है। आगे हम कक्षा में नियमित रूप से पढाई शुरू कराएंगे और विद्यार्थियों के लिए 75 प्रतिशत उपस्थित अनिवार्य होगी। पहले पढाई होगी, फिर परीक्षा में कड़ाई होगी। 

विधायक विजय खेमका ने कहा कि शिक्षा ही विकास का रास्ता खोलती है। हमारे युवा शिक्षा के प्रति समर्पित हो। युवा महाविद्यालय को मंदिर मानें। अनुशासित होकर  कक्षाओं में भाग लें। युवा ही भारत के भविष्य हैं। युवाओं के कंधे पर ही देश के विकास की बागडोर है।

कार्यक्रम में सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. शिवमुनि यादव, स्नातकोत्तर रासायनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. चन्द्रकान्त यादव, पीआरओ डॉ. सुधांशु शेखर, डॉ. नसीरुद्दीन, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. श्याम कुमार आदि उपस्थित थे।

अध्यक्षता प्रधानाचार्य डॉ. मो. कमाल ने की। संचालन डॉ. मनोज पराशर ने किया। स्वागत गान संतु कुमारी ने प्रस्तुत किया।

शिक्षण दुनियाँ की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी और सबसे बड़ा धर्म है: कुलपति शिक्षण दुनियाँ की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी और सबसे बड़ा धर्म है: कुलपति Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 13, 2017 Rating: 5
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