फिर आरण: बादल घिरते मोर नाचते हैं, पर सीएम ने उम्मीद पर पानी फेरा उसका क्या?

मयूर ग्राम आरण अब किसी परिचय का मोहताज नहीं. करीब 25-26 वर्ष पहले पंजाब से मंगाए गए एक जोड़ा मोर के बच्चे से बढ़कर आज ये सैकड़ों की संख्या में हैं.

इस गाँव की हरियाली और पर्यावरण इस पक्षी को रास आ गई और बढ़ती तादाद के कारण हर किसी के दरवाजे-आंगन, छत-छप्पड़, खेत-खलिहान में यत्र-तत्र विचरण करते हुए मोर का दिख जाना यहाँ आम हैं. आरण गाँव के निवासियों द्वारा इस राष्ट्रीय पक्षी को भगवान श्री कृष्ण की पहचान मानकर बड़ी श्रद्धा से देख-रेख करते हैं और इसके सुरक्षा पर विशेष ध्यान देते हैं.

गत वर्ष मधेपुरा टाइम्स ने ही सर्वप्रथम इसपर अपनी पहली रिपोर्टिंग दर्ज की थी. इसके पश्चात इसकी ख़्याति फैली तो बाहर के पत्रकारों ने भी आरण का रूख किया. फिर वन विभाग के आलाधिकारियों सहित सहरसा के डीएम विनोद सिंह गुँजियाल भी आरण गाँव का दौरा करने लगे. बिहार सरकार के निर्देश पर मयूर के जीवन पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म का निर्माण भी होने लगा. दिनोंदिन अख़बार में छप रही इस गाँव की रिपोर्ट पर बिहार के मुख्यमंत्री ने भी संज्ञान लिया और अनेक कैबिनेट मंत्रियों व उच्चाधिकारियों सहित अपनी सात निश्चय की यात्रा के क्रम में आरण का दौरा कर डाला. ज्ञात हो कि सहरसा के विधायक श्री अरूण यादव आरण गाँव के ही निवासी हैं..

मुख्यमंत्री के आगमन की सूचना मिलते ही तमाम आलाधिकारी आरण की
ओर कूच कर गए. वन विभाग की ओर से सड़कों के किनारे पौधरोपण प्रारंभ हो गया. सीएम के दौरे के समय गाँव की स्थिति कुछ हिंदी फिल्म 'पीपली लाईव' के समान दिख रही थी. आलाधिकारियों और बड़े-छोटे नेताओं के लगातार हो रहे दौरे से गाँव में मेले के समान दृश्य उत्पन्न हो चला था. इन दौरों से आरण के लोगों में आशा जगी कि अब इस गाँव को सुरक्षित क्षेत्र घोषित कर सरकार आरण का कायाकल्प कर देगी. तमाम विकासपरक कार्यों में तेजी आएगी और मोर के संरक्षण के लिए अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी.

खैर, लोगों के इंतजार की घड़ियां ख़त्म हुई और 17 दिसंबर 2016 को नीतिश कुमार आरण पधारे भी. गार्ड ऑफ ऑनर के पश्चात मुख्यमंत्री ने गाँव जाकर मोर को भी देखा. फिर टेंट में बैठकर डॉक्यूमेंट्री फिल्म को भी देखा और मयूर को सर्वप्रथम इस गाँव में लाने वाले वृद्ध हो चुके श्री
अभिनंदन यादव उर्फ़ कारी झा को उनके इस नेक काम के लिए हार पहनाकर सम्मानित भी किया गया. इस कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा जिसमें मोर के संरक्षण और संवर्धन के लिए तमाम मांगें थी. जैसे बिलार-हट्टे के द्वारा मोर का भक्षण तथा बिजली के नंगे तारों की वज़ह से मोर की मौतें होने की बात थी. मुख्यमंत्री ने तमाम मांगपत्रों को अपने हाथों से लिया और उनपर सरसरी निगाह दी. उस कार्यक्रम में हजारों की उपस्थित भीड़ और सबकी निगाहें मुख्यमंत्री की ओर कि निज़ाम इस गाँव को कुछ विशेष देकर जाएंगे पर देखते-देखते वो अपने काफ़िले के साथ यहाँ से कूच कर गए.

मुख्यमंत्री के दौरे को बीते करीब सात महीने बीत चुके हैं और गाँव की स्थिति यथावत है. आरण के निवासी मुख्यमंत्री द्वारा 'कुछ नहीं दिए जाने' से अत्यधिक निराश हैं. गाँव में कुछेक साईन बोर्ड और वृक्षारोपण के अलावा अन्य कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हुए हैं. मयूर के लिए जानलेवा ट्रान्सफॉर्मर और बिजली के नंगे तार भी यथावत हैं जिन्हें हटाने की मांग बारंबार दुहरायी गई थी. मधेपुरा टाइम्स के इस गाँव फिर पहुँचने के बाद ग्रामीण उन्हें घेरकर पूछने लगते हैं और कुछ पाने की जिज्ञासा जाहिर करने लगते हैं.

ध्यान देने योग्य बात है कि पहले की अपेक्षा यहाँ मोर की संख्या में गिरावट आ रही है जो यहाँ के निवासियों के लिए चिंता का विषय है. पहले जैसे मोर के झुंड अब देखने को नहीं मिलते. यहाँ के निवासी कृष्ण कुमार कुंदन और रवि यादव ने कहा कि सरकार हमारे दरवाजे तक आकर भी हमें निराश कर गए. पर्यावरण के प्रति सचेष्ट यहाँ के ग्रामीण मुख्यमंत्री की उपेक्षा से क्षुब्ध हैं.

देखें आरण में मोरों के मनमोहक नृत्य का ताजा वीडियो, यहाँ क्लिक करें.
फिर आरण: बादल घिरते मोर नाचते हैं, पर सीएम ने उम्मीद पर पानी फेरा उसका क्या? फिर आरण: बादल घिरते मोर नाचते हैं, पर सीएम ने उम्मीद पर पानी फेरा उसका क्या? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 29, 2017 Rating: 5
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