माह-ए-रमजान: रहमतों की बारिश के साथ-साथ बरकत व मगफिरत का माह

शनिवार को चांद के दीदार के साथ इस्लामी कैलेण्डर का 9वां महीना माह-ए-रमजान में पढी जाने वाली विशेष नमाज तरावीह की शुरूआत और रविवार से माह-ए-रमजान का पहला रोजा शुरू हुआ।

रहमतों की बारि करने के साथ-साथ बरकत व मगफिरत का माह माह-ए-रमजान में इस्लाम को मानने वाले माह के तीस दिनों तक रोजा रखकर खुदा की बारगाह में सजदा करते है और अपनी गुनाहों की माफी मांगते है।

रहमत का महीना है माह-ए-रमजानः पुरैनी जामा मस्जिद के इमाम नें रमजान की फजीलत बयान की और बताया की यह पाक (पवित्र) व मुकद्दस (इबादत के लिये महत्वपूर्ण) माह रहमत, बरकत और मगफिरत (गुनाहो से माफी) का महीना है। इस महीने में हर मुसलमान अपने इबादत के जरीये अपने रब के करीब जा सकता है। उन्होनें नसीहत की कि इस महीने में खूब इबादत करें, गरीबों की मदद करें, और बुरे कामों से दूर रहें। पूरे रोजे रखें और तरावीह की नमाज न छोड़े। इस दौरान लोगो को रोजाना पांच वक्त की नमाज अता करनी होती है तो साथ ही गुनाहो से बुराइयों से दूर रहते हुए अपना पूरा दिन व रात इबादत में बिताना चाहिए। तीस दिन रोजे रखकर इबादत करने वालों को ही ईद की खूबी मिलती है।

क्या है माह-ए-रमजान में खासः महीने भर रोजे (उपवास) रखना, रात में तरावीह की नमाज पढना, कुरान तिलावत करना, एतेकाफ पर बैठना (यानी गाँव और लोगो की अभ्युन्नति व कल्याण के लिये अल्लाह से दुआ मांगते हुए मौन व्रत रखना), जकात देना (दान देना), अल्लाह का शुक्र अदा करना.
माह-ए-रमजान: रहमतों की बारिश के साथ-साथ बरकत व मगफिरत का माह माह-ए-रमजान: रहमतों की बारिश के साथ-साथ बरकत व मगफिरत का माह Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 29, 2017 Rating: 5
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