थोड़ा अलकतरा ही सही, इधर भी तो गिरा दीजिये हुजूर...

काश! सीएम हर साल मधेपुरा समेत बिहार के हर जिले आते और अलग-अलग इलाकों में जाते ! ये बात इन दिनों जिले के कई लोगों की जुबान पर है.
कारण साफ़ है. जहाँ आमतौर पर किसी सड़क निर्माण को शुरू होकर पूर्ण होने में वर्षों लग जाया करते हैं वहां मुख्यमंत्री के आगमन पर कई सड़क रातोंरात तैयार हो रहे हैं.
          बताते हैं कि जिन संभावित जगहों पर 16 दिसंबर को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जाने वाले हैं उधर की सडकों को फिर से दुरुस्त कर दिया गया है. पर ये आम लोगों की समझ से बाहर भी है. क्या सिर्फ सूबे के मुख्यमंत्री की गाड़ी ‘जर्क’ से बची रहे, इसलिए ऐसा किया गया है? या फिर ये दिखाने के लिए कि सूबे में सबकुछ ठीक है? क्या आम जनता जिनकी बदौलत नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हैं, वे हिचकोले खाने के लिए ही बने हैं?
          सवाल कई हैं. जिला मुख्यालय में मेन रोड रातोंरात इस कदर ‘प्लेन’ कर दिया गया कि यहाँ ‘प्लेन’ भी लैंड कर सकता है. बाय पास रोड भी चकचकाए जा रहे हैं. पर मेन रोड और बाय पास रोड को जोड़ने वाली बीच की कई सड़कें खस्ताहाल हैं.
          ऐसी ही एक अतिमहत्वपूर्ण सड़क स्टेट बैंक मुख्य शाखा रोड है. जाहिर है स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा होने और मार्केट का अतिमहत्वपूर्ण इलाका होने के कारण इस सड़क से लोगों और वाहनों का आवागमन बहुत अधिक रहता है. पर बताते हैं कि कुछ साल पहले जब ये सड़क बनी थी तो उसी समय एक तरफ बनती थी और दूसरे तरफ उखड़ती चली जा रही थी. पुराने रोड पर सिर्फ अति-मामूली ढंग से अलकतरा आदि डाल कर काम को पूरा दिखाया गया था और लोगों की शिकायतों के बाद भी तत्कालीन संवेदक पर किसी प्रकार की कोई न तो कार्रवाई हुई थी और न ही उसे सड़क को बेहतर बनाने के कोई निर्देश दिए गए थे. लिहाजा सड़क बनने के बाद पहले से भी बदतर हो गई और तब से टूटती ही चली गई. जबकि रोज ही इस तरफ से कई बड़े अधिकारियों की बत्ती वाली गाड़ियाँ गुजरती हैं.
          दुर्घटनाएं इस सड़क की पहचान बन गई है. स्टेट बैंक के ठीक सामने भी रोज लोगों का वाहनों के साथ गिरना आम बात है. इसी सड़क से सटे कई नालों के ढक्कन भी टूटे पड़े हैं जिसमें भी अक्सर छोटे वाहन गिरते रहते हैं. आज भी जब एक ऑटो एक खुले नाले में जा गिरी तो हमने ऑटो चालक से कुछ कहने को कहा. उनका जवाब था ‘सरकार घुच्चा-घुच्ची पर ध्यान नहीं देगी तो कैसे काम चलेगा? ऐसी बदहाल सड़कों की कोई कमी नहीं है. हम तो कहेंगे, ‘जाने दीजिये, लगता सारी सड़कों को बढ़िया देखना सपना ही रह जाएगा, थोड़ा अलकतरा ही सही, इधर भी तो गिरा दीजिये हुजूर...’
(वि. सं.)
थोड़ा अलकतरा ही सही, इधर भी तो गिरा दीजिये हुजूर... थोड़ा अलकतरा ही सही, इधर भी तो गिरा दीजिये हुजूर... Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 14, 2016 Rating: 5
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