अपने ही रूपये हुए बेगाने: सुधरने की बजाय बिगड़ने लगी है स्थिति

मधेपुरा जिले के छोटे शहरों में नोटबंदी के बाद पैदा हुए अजीबोगरीब हालत के सुधरने के अबतक कहीं से कोई आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं.
मुरलीगंज के सभी बैंकों में स्थिति में सुधार होने के बजाए और बिगड़ते ही जा रहे हैं. मुरलीगंज भारतीय स्टेट बैंक के शाखा प्रबंधक लखनलाल रजक ने बताया कि बैंक में पैसे निकालने वालों की भी बहुत ज्यादा है और थोड़े ही पैसे हैं. उन्हें लगता है कुछ ही आदमी दो ₹2000 के नोट प्राप्त कर पाएंगे. यहां तक कि चेस्ट बैंक मधेपुरा ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं. वही मुरलीगंज सेंट्रल बैंक में स्थिति कल भी काफी दयनीय थी. महिला एवं पुरुष भीड़ में अपनी अपनी लाइन में खड़े थे. शाखा प्रबंधक शाखा प्रबंधक आनंद कुमार अपनी परेशानी जताते हुए कह रहे थे कि यह रामलीला कब तक चलेगी. न सुबह का खाना नसीब होता है और न रात को सही समय घर जा पाते हैं. हर दिन  भीड़  की वही रफ्तार है. आगे  बताया कि कुछ ही घंटों बाद हम भी खाली हो जाएंगे. अगर पैसे कहीं व्यापारियों द्वारा भेजे जाते हैं तो काम चलेगा अन्यथा निकासी का काम बिल्कुल ही रुक जाएगा.
मुरलीगंज गोल बाजार स्थित स्टेट बैंक के बाजार ब्रांच के शाखा प्रबंधक योगी पासवान ने बताया कि आज हमारे चेस्ट बैंक से पैसे की आपूर्ति नहीं की गई. हमने पैसे के लिए भेजे थे पर उन्होंने हाथ खड़े कर दिए. ऐसे में कुछ घंटे तक लगभग 3-4 सौ लोगों को हमने 2000 रूपये बाँटे हैं. आगे हम कुछ नहीं कह सकते.
बता दें कि जिले के अधिकाँश बैंकों और एटीएम पर अभी भी ग्राहकों की बड़ी भीड़ जमी रहती है और कुछ को तो थोड़े से रूपये मिल जाते हैं पर कई निराश होकर बैरंग वापस जाते हुए देखे जा सकते हैं. उधर बाजार मंदी का शिकार हो चुका है. रूपये निकालने की लिमिट के कारण अधिक खर्च वाले काम कराने से लोग डर रहे हैं. माध्यम वर्गीय लोगों को सबसे अधिक डर इस बात का सता रहा है कि यदि घर में अचानक कोई बड़ी बीमारी के चपेट में आ जाता है तो फिर बैंकों में रखे रूपये कागज़ के टुकड़ों से कुछ ज्यादा साबित नहीं होने वाले हैं. अपने ही रूपये के बेगाने हो जाने से बहुत से लोगों का दर्द अब छलकने लगा है. 
अपने ही रूपये हुए बेगाने: सुधरने की बजाय बिगड़ने लगी है स्थिति अपने ही रूपये हुए बेगाने: सुधरने की बजाय बिगड़ने लगी है स्थिति Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 01, 2016 Rating: 5
Powered by Blogger.