नोटबंदी अब: शहरों में थोड़ी राहत तो ग्रामीण इलाकों में अब भी ‘मारामारी’

मधेपुरा जिले के मुरलीगंज में 4 दिनों से भारतीय स्टेट बैंक मुरलीगंज की मुख्य शाखा और गोल बाजार ब्रांच में पैसे नहीं रहने के कारण लोगों की भारी किल्लत का सामना करना पड़ा था.
आज सोमवार को सुबह 6:00 बजे से ही ग्राहकों की बड़े भीड़ मुरलीगंज के एन एच 107 पर अवस्थित भारतीय स्टेट बैंक में उमड़ पडी. नोटबंदी के इतने दिनों के बाद हालांकि शहरी इलाकों में हालात पहले से बेहतर हुए हैं, लेकिन कई ग्रामीणों इलाकों की तस्वीरें पहले दिन जैसी ही दिख रही है.
        
उधर सरकारी कर्मचारियों के वेतन पेंशन की मद में लगभग  करोड़ो रुपये की धनराशि विभिन्न बैंकों के खातों में हस्तांतरित हो चुकी है.  खातों में रुपये जाने के बावजूद कर्मचारी पेंशनर धनराशि नहीं निकाल पा रहे हैं. आज बैंकों में महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा थी. जितने बैंक के बाहर थे उतने ही बैंक के अंदर महिलाएं बड़ी तादाद में खड़ी थी. बैंक के अंदर इतनी भीड़ थी की ठंड में भी पंखे चलाए जा रहे थे. कुछ अपने बारी के इंतजार में खड़े-खड़े थक से गए थे और नीचे जमीन पर बैठे थे. बैंक के बाहर सड़क तक महिलाओं की लंबी लाइन लगी थी. शाखा प्रबंधक लखनलाल रजक ने बताया कि आज पैसे की कोई कमी नहीं है, हम पैसा बांट रहे हैं . आज निकासी की तय सीमा 24000 के अंदर तक भुगतान एक सप्ताह के लिए पा सकते हैं. हम भुगतान कर रहे हैं पर उन्होंने बताया कि भीड़ जिस हिसाब से खड़ी है हमें नहीं लगता कि हम सबों को पैसे दे पाएंगे क्योंकि बैंक का समय ही खत्म हो चुका होगा. सबसे ज्यादा भीड़  किसानों की थी क्योंकि आज 24,000 तक रुपए निकाले जाने की छूट दी गई थी.
     कई बुजुर्ग पेंशनधारी भी लाइन में लगे लगे थक चुके थे. पेंशनधारियों की माने तो सरकार को इस तरह आम जनता को लाइन में खड़ा हक करने कोई हक नहीं है. उनके पास ऐसी मशनरी है कि वह कालेधन वालों पर सीधे तौर पर प्रहार कर सकती थी, पर जब हमारे पैर आज थक चुके हैं तब हमें लाइन में  दो चार  घंटे खड़े रहने की हिम्मत कहां बची है. ऐसा कई बुजुर्ग शिक्षकों का कहना था जो पेंशन के लिए बैंक गए थे. लौटकर घर को जा रहे थे. आगे उन्होंने बताया कि सुबह से ही बैंक के कर्मचारी को कूपन देने के लिए रहना चाहिए. लोग अपने कूपन के अनुसार नंबर पर आते और पैसा लेकर चले जाते. इस तरह लाइन में खराब करने का मतलब ही नहीं बनता है.
     कई लोगों का कहना था कि दो हजार रूपये का नोट जारी करने पर खुले पैसे की कितनी दिक्कत होगी, इतनी मोटी-सी बात का अंदाजा बड़े-बड़े वित्त विशेषज्ञ क्यों नहीं लगा पाए? अब सरकार ने राहत के कुछ कदम उठाए हैं. एटीएम से एक दिन में ढाई हजार और बैंक से एक हफ्ते में चौबीस हजार रुपए निकालने की इजाजत देकर निकासी राशि की सीमा में बढ़ोतरी कर दी है. पर पिछले दिनों के अनुभव बताते हैं कि ज्यादातर एटीएम काम नहीं कर रहे, जो काम करते भी हैं, उनमें जल्द ही पैसे ख़त्म हो जाते हैं. बैंकों की शाखाओं पर लगातार इतनी भीड़ बनी रहती है कि बहुत-से लोग कतार में लगने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते.
     वहीँ केनरा बैंक के शाखा प्रबंधक अमरेंद्र कुमार ने बताया कि हम पिछले 3 दिनों से लगातार निकासी का भुगतान देते रहे थे, लेकिन आज हम पूरी तरह खाली हो चुके हैं. कुछ ग्राहकों को ₹2000 दे रहे हैं. अब हमारे मधेपुरा चेस्ट में भी पैसा नहीं है. हम भुगतान अब गुरुवार से ही प्रारंभ कर पाएंगे ऐसा प्रतीत होता है.
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नोटबंदी अब: शहरों में थोड़ी राहत तो ग्रामीण इलाकों में अब भी ‘मारामारी’ नोटबंदी अब: शहरों में थोड़ी राहत तो ग्रामीण इलाकों में अब भी ‘मारामारी’ Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 05, 2016 Rating: 5
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