पूर्वजों को ही मानते हैं देवी-देवता: आदिवासी समुदाय का आयोजन संपन्न

मधेपुरा जिले के बिहारीगंज के कुस्थन पंचायत स्थित आदिवासी टोला में दो दिवसीय अष्टयाम संर्कीतन आयोजित किया गया, जिसमें तिलकामांझी मंडली, पटराहा मंडली समेत अन्य ने भाग लिया.
 ज्ञात हो कि जिस प्रकार आमजन राम, सीता, कृष्ण भगवान आदि का फोटो लगाकर रामधुनी किया जाता है, उससे इतर उक्त समुदाय के लोग अपने पूर्वजो को देवी व देवता मानकर उक्त आयोजन करते है. और फोटो के स्थान पर लोटा में जल थाली में अन्य पूजन सामग्री समेत मिटृी का पिंड बनाकर उसकी पूजा करते हैं. बाद में उसे याद कर भगवान का भजन करते हुए सभी मिलकर नाचते व गाते हैं. साथ ही सात दिनों तक उपवास करते है. चंदू सौरेन,लक्ष्मी सौरेन, बैजनाथ सौरेन, छोटेलाल मरांडी, मुशी ह्रेम्ब्रम, चंदन मरांडी आदि ने बताया कि वे इस आयोजन को बड़े हीं श्रद्धापूर्वक व पूरी तैयारी के साथ मनाते है. उक्त आयोजन में उनके समुदाय के ही पंडित को बुलाया जाता है, जो सात दिनों तक मंडप में हवन व पूजा पाठ करते है.
(रिपोर्ट: रानी देवी)
पूर्वजों को ही मानते हैं देवी-देवता: आदिवासी समुदाय का आयोजन संपन्न पूर्वजों को ही मानते हैं देवी-देवता: आदिवासी समुदाय का आयोजन संपन्न Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 27, 2016 Rating: 5
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