‘‘नीतीश कुमार इज द लास्ट पर्सन टू कॉम्प्रोमाइज ऑन द मैटर ऑफ़ लॉ एंड ऑर्डर’: निखिल मंडल, जदयू प्रदेश प्रवक्ता

बिहार सरकार के द्वारा अप्रैल में लागू किये शराबबंदी के कानून को पटना उच्च न्यायलय ने रद्द कर दिया तो एक बार कई लोगों को लगा कि शायद बिहार में शराबबंदी को ही गलत ठहरा दिया गया है और कहीं ये व्यक्ति की स्वतंत्रता से जुडी कोई बात तो नहीं थी. पर कानून के जानकारों का मानना है कि उस बार कानून बनाने में तकनीकी तौर पर कुछ कमियां रह गई थी, जिसकी वजह से उच्च न्यायालय से सरकार को झटका लगा. जो भी हो, बिहार सरकार ने इस बार महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर 02 अक्टूबर से बिहार में शराबबंदी पर नया कानून फिर से लागू कर दिया है और सरकार का मानना है कि इस बार का कानून पहले की तुलना में न सिर्फ सख्त है बल्कि पक्का भी.
शराबबंदी पर सरकार का पक्ष और इसकी गहराई जानने के लिए हमने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के प्रदेश प्रवक्ता निखिल मंडल को मधेपुरा टाइम्स के स्टूडियो में आमंत्रित  किया और न सिर्फ इससे जुड़े बल्कि लालू-नीतीश के गठबंधन पर भी सवाल पूछे, जिनका जवाब हम पाठकों तक पहुंचा रहे हैं.

मधेपुरा टाइम्स: निखिल जी, शराबबंदी को लेकर राज्य सरकार को उच्च न्यायालय से झटका लगा और फिर नया कानून भी आप लागू करने जा रहे है. क्या लगता है   पिछली बार कानून बनाने में कोई कमी रह गई थी और शराबबंदी को लेकर आपलोग कितना आश्वश्त हैं?


निखिल मंडल: राकेश जी, वैसे तो ज्यूडिशियरी का अपना एक सेपरेट बॉडी है और बहुत बार ऐसे जज्मेंट्स भी आते हैं जिन पर बहुत कुछ नहीं बोला जा सकता. पर 5 अप्रैल 2016 का जो कानून विदेशी शराब को लेकर था उसे लेकर हाई कोर्ट से जो भी जजमेंट आया है उसके खिलाफ सरकार निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट जायेगी. दूसरी बात कि 5 अप्रैल से लागू शराबबंदी एक प्रॉविजन के तहत आई थी जबकि नए कानून को विधान मंडल में पारित करवाया और फिर राज्यपाल से भी पारित करवाया गया है. इस दोनों में फर्क देखिये, इस बार हमने पक्का कानून पारित करवाया है. हो सकता है कि पिछले कानून में शायद कुछ कमियां रह गई होंगी, जिसके कारण कोर्ट ने ऐसा निर्णय दिया होगा. फिर भी हम उस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जायेंगे. वैसे गांधी जयंती पर नई शराब नीति लागू की जा चुकी है.

मधेपुरा टाइम्स: राज्य भर में लगातार शराब की बरामदगी हो रही है और शराब पीते लोग पकड़े भी जा रहे हैं. क्या इसे आप शराबबंदी कानून की सफलता मान रहे हैं?

निखिल मंडल: शराबबंदी को सिर्फ सरकार से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए. शराबबंदी से जो फायदे हैं उसे देखा जाना चाहिए. सरकार को तो 5000 करोड़ राजस्व का नुकसान ही है. पर समाज को काफी फायदा हो रहा है. झगड़े सुलझ रहे हैं. इसके पॉजिटिव असर जब अब देखेंगे तो आपको लगेगा कि ये एक बहुत बड़ा मामला है. शराबबंदी को पूरी तरह सफल बनाने के लिए समाज के तमाम व्यक्ति को जिम्मेदारी उठानी होगी. यदि हर व्यक्ति इसे अपनी जिमेदारी समझ ले तो शराबबंदी का पूरा सफल होना तय है और कहीं न कहीं बिहार के विकास के इतिहास में शराबबंदी को जरूर लिखा जाएगा. ये सही बात है कि बाहर से शराब आ रहे हैं और कई बॉर्डर एरिया से शराब बिहार में आने में हमें उन राज्यों से सपोर्ट नहीं मिल रहा है. जिसके कारण कुछ परेशानी तो हो ही रही है. यदि आप कोई नियम लायेंगे तो उसे फ़ैल करने वाले भी बहुत से लोग हमारे ही समाज के होंगे. पर कोई कितनी भी कोशिश कर ले, हमारी सरकार ने निश्चय कर रखा है कि शराबबंदी को हमलोग लागू करके रहेंगे.

मधेपुरा टाइम्स: निखिल जी, कुछ लोगों का कहना है कि बड़े लोग घरों में बैठकर अब भी शराब पी रहे हैं, सिर्फ छोटे लोग पकड़े जा रहे हैं. कई ऐसे गरीब और महिलायें भी पकड़े जा रहे हैं जो इस धंधे से काफी दिनों से जुड़े थे. क्या आपको ऐसा नहीं लगता है कि पहले उनके लिए रोजगार का सृजन हो जाना चाहिए था और तब ऐसा कानून लाया जाता?

निखिल मंडल: आपने दो बातें उठाई, मैं दोनों ही बातों पर आता हूँ. पहले मैं इस बात को काटता हूँ कि सिर्फ गरीब ही पकड़े जा रहे हैं. मुझे नहीं मालूम कि बड़े लोग घरों में बैठकर पी रहे हैं पर सिर्फ गरीब पकड़े जा रहे हैं, ऐसा नहीं है. बिहार मे विधायक पकड़े जा रहे हैं, विधायक के भाई पकड़े जा रहे हैं. पटना के होटल में गुजरात के बड़े व्यवसायी पकड़े गए थे. इसलिए मैं इसे सिरे से खारिज करता हूँ.
        दूसरी कि, जहाँ तक शराब बंदी के बाद ये प्रश्न आया कि आपने कुछ लोगों का रोजगार ही छीन लिया. हमने रोजगार के लिए सुधा दूध के बिजनेश का ऑफर किया, पर कोई तैयार ही न हो हम क्या कर सकते हैं? नीरा के लिए भी हम प्रयास कर रहे हैं और बाहर से हैदराबाद, केरल आदि से एक्सपर्ट आकर इसके प्रोडक्ट पर काम कर रहे हैं. इसके लिए कहीं न कहीं कुछ समय देना पड़ेगा और जहाँ तक एक तबके के बेरोजगार होने की बात है तो उन्हें रोजगार मिलेगा और वो पहले से अधिक सुखी होंगे.

मधेपुरा टाइम्स: विरोधियों का कहना है कि नीतीश जी की लालू जी के साथ गठबंधन राज्य में अपराध को बढ़ावा दे रही है और लोगों के मन में ये भी है कि सरकार स्थिर नहीं है और कब क्या हो जाए कोई नहीं जानता. आप क्या मानते हैं?

निखिल मंडल: आरजेडी, कांग्रेस और जदयू का विधानसभा से पहले गठबंधन हुआ और हम तीनों को साथ जनता का मैंडेट मिला है, इसी एक को नहीं. हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है. अपराध की बात करेंगे तो हम आंकड़ों की बात करेंगे. बिहार का देश में अपराध में 22वां स्थान है. आप किसी थाना से रिपोर्ट माँगा लीजिये. मैं दावे के साथ कहूँगा कि राज्य में पिछले साल की तुलना में अपराध कम हुए हैं. कहीं न कहीं एक परसेप्शन बनाया जा रहा है कि लालू जी आये तो ये हो रहा है, ऐई कोई बात नहीं है.
       2005 से नीतीश जी ने अपने आप को प्रूव किया है. न्याय के साथ विकास. मैं समझता हूँ कि  ‘नीतीश कुमार इज द लास्ट पर्सन टू कॉम्प्रोमाइज ऑन द मैटर ऑफ़ लॉ एंड ऑर्डर’. सवाल ही नहीं उठता. उनकी छवि ही वैसी है. उसी छवि को लेकर लोगों को उनपर बहुत भरोसा है. हमारा गठबंधन बहुत अच्छे से चल रहा है. और यदि कोई घटनाएँ होती है तो आप देखेंगे कि सीएम बहुत ही तत्परता से उसपर कार्रवाई करते हैं. चाहे वीडिओ कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये या फिर आईजी, डीआईजी सबसे रिपोर्ट मांगकर. क्राइम कंट्रोल के मानमे में नीतीश जी आज भी वैसे ही आपको मिलेंगे जैसे वे 2005 से 2010 में थे, 2010 से 2015 में और वौसे ही 2015 से 2020 में भी रहेंगे. 
(रिपोर्ट: आर. के. सिंह, कैमरा: मुरारी सिंह)
‘‘नीतीश कुमार इज द लास्ट पर्सन टू कॉम्प्रोमाइज ऑन द मैटर ऑफ़ लॉ एंड ऑर्डर’: निखिल मंडल, जदयू प्रदेश प्रवक्ता ‘‘नीतीश कुमार इज द लास्ट पर्सन टू कॉम्प्रोमाइज ऑन द मैटर ऑफ़ लॉ एंड ऑर्डर’: निखिल मंडल, जदयू प्रदेश प्रवक्ता Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 04, 2016 Rating: 5

2 comments:

  1. wah nic sppech sir. #and thanks to MADHEPURA TIMES 2 update this news . but sir in MADHEPURA there r many villages but some of d villages there is also selling wines.? in higher prices. but how this is possible? how wines are come into

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  2. Sir you can say that mks brother are arrest it's true but disison is it 👍

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