मुस्लिम युवकों ने बाँधी सर पर ‘जय माता दी’ की पट्टी तो हिन्दुओं ने लगाये 'या हुसैन' के नारे: मधेपुरा के इतिहास में जुड़ा साम्प्रदायिक सौहार्द का स्वर्णिम अध्याय

"मुकम्मल है इबादत 
वतन में ईमान रखता हूँ
वतन की शान की खातिर 
हथेली पर जान रखता हूँ,
क्यों पढते हो मेरी आँखों में 
नक्शा शैतान का ,
इंसान हूँ सच्चा दिल में 
हिन्दुस्तान रखता हूँ."
         ये देश भर के उन लोगों के चेहरे पर तगड़ा तमाचा है जो साम्प्रदायिकता की आड़ में इंसानियत का कत्ल करते हैं.
उन्हें सीखना चाहिए मधेपुरा के चौसा से जहाँ के इतिहास के पन्नों में सम्प्रदायिक सौहार्द का स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है. चौसा के लोगों ने हिन्दू-मुस्लिम एकता का ऐसा मिशाल पेश किया है जो एक सन्देश है कि इंसानियत और वतन से ऊपर कुछ नहीं है.
      अभी दो दिन पहले चौसा में दशहरा और मुहर्रम मेला एक ही मैदान में एक साथ लगाया गया और इस अवसर पर मुसलमानों से अधिक हिन्दुओं ने 'या हुसैन' के नारे लगाए. इस अवसर को 'मानव मेला' का नाम दिया गया. दूसरी तरफ आज माँ दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन में मुसलमानों ने भी बढ चढ कर हिस्सा लिया. दृश्य तब और भावविह्वल कर देने वाला बन गया जब मुस्लिम युवकों ने अपने सरों पर जय माता दी की पट्टी और माथे पर तिलक लगाकर माता की प्रतिमा को कंधा दिया. वाकई चौसा का यह दृश्य दर्शनीय था. चौसा की महान जनता ने आज शांति का ऐसा मंत्र पढा है, जिसके प्रताप से समाज के चिरकाल तक प्रभावित रहने की सम्भावना है. महिलाओ ने विदाई गीत गाकरअश्रुपूरित आँखों से माँ को विदा किया.
        विसर्जन जुलूस में मुहर्रम मेला समिति के अध्यक्ष मनौवर आलम, मो. शाहिद, साईं इस्लाम,अब्बास अली सिद्दीकी, मो.फरहाद, आरिफ आलम, कादिर आलम, मो0 मोईन उद्दीन सहित दर्जनों मुस्लिम शामिल जबकि इसके अलावे मुखिया प्रतिनिध सचिन कुमार बंटी, कुंदन कुमार बंटी, पूर्व मुखिया सूर्यकुमार पटवे, श्रवण कुमार पासवान, प्रो.उत्तम कुमार, अनिल मुनका, पुरुषोत्तम राम, हरि अग्रवाल, भूपेंद्र पासवान, मो.नजीर, आफताब आलम, मनोज शर्मा, चमकलाल मेहता, राजकिशोर पासवान, मनोज पासवान समेत सैंकड़ों की संख्यां में लोग मौजूद थे.
    वैसे तो यहाँ प्रशासनिक व्यवस्था काफी चुस्त दुरुस्त थीऔर थाना अध्यक्ष सुमन कुमार सिंह स्वयं प्रतिमा के साथ चल रहे थे, पर यहाँ की प्रशासनिक व्यवस्था उनलोगों ने ही संभाल रखी थी जिनके दिलों में न सिर्फ हिन्दू थे और न सिर्फ मुसलमान, बल्कि मुहब्बत का पैगाम भरा था. जाहिर है, चौसा पर साहिर लुधियानवी की पंक्ति फिट बैठती है कि, तू हिन्दू बनेगा ना मुसलमान बनेगा, इन्सान की औलाद है इन्सान बनेगा.  
मुस्लिम युवकों ने बाँधी सर पर ‘जय माता दी’ की पट्टी तो हिन्दुओं ने लगाये 'या हुसैन' के नारे: मधेपुरा के इतिहास में जुड़ा साम्प्रदायिक सौहार्द का स्वर्णिम अध्याय मुस्लिम युवकों ने बाँधी सर पर ‘जय माता दी’ की पट्टी तो हिन्दुओं ने लगाये 'या हुसैन' के नारे: मधेपुरा के इतिहास में जुड़ा साम्प्रदायिक सौहार्द का स्वर्णिम अध्याय Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 14, 2016 Rating: 5

1 comment:

  1. ek hi zammen pe rehte ho, ek hi pani peete ho, ek hi hawa mein sans lete ho ,chehra bhi ek jaisa hai, koi alag nahi hai, sab ek hi ho.

    ReplyDelete

Powered by Blogger.