“जब रोम जल रहा था, नीरो बंशी बजा रहा था”: छात्रों की जान जोखिम में, वीसी विदेश में

छात्रों की समस्याओं से जुड़ी विभिन्न मांगों को लेकर जहाँ एक तरफ दो छात्र आमरण अनशन पर लगातार 11वें दिन भी जमे रहे वहीँ आज आंदोलन के तहत छात्र मधेपुरा शहर में जगह जगह जा कर बाज़ार बंद करवाते दिखे.
    छात्रों ने कर्पूरी चौक को पूरी तरह जाम कर कर टायर जला कर आक्रोश का प्रदर्शन किया और आम लोगों को समर्थन देने की अपील की. बाद मॆ जिला पदाधिकारी के आने पर समझा बुझा कर जाम को समाप्त करवाया गया.
   अनशन पर बैठे छात्र नेता मनीष कुमार और हर्ष वर्धन सिंह राठौर की हालत नाजुक बनी है और विश्वविद्यालय बचाओ अभियान में आन्दोलन कर रहे छात्रों को कोसी के लगभग सभी वर्गों का समर्थन मिल रहा है.
      उधर यह बात बहुत सारे लोगों की समझ से बाहर है कि आखिर जिस वीसी के विदेश जाने और रहने की बात कही जा रही है, क्या उन्होंने विदेश ही सही, वहां से एक बार भी विश्वविद्यालय की सुधि लेना उचित नहीं समझा. और यदि उन्होंने यहाँ के किसी जिम्मेदार अधिकारी से बात की तो क्या किसी ने इस नाजुक दौर से गुजर रहे आन्दोलन के बारे में उनसे नहीं कहा? या फिर वे इतने असंवेदनशील हो चुके हैं कि कोई मरे या बचे, इससे उन्हें कोई मतलब नहीं रह गया है? जाहिर है ऐसे में जब भी बी.एन. मंडल यूनिवर्सिटी का इतिहास लिखा जाएगा डॉ. विनोद कुमार की चर्चा नकारात्मक रूप में ही की जायेगी और यह कहावत चरितार्थ  होती दिख रही है कि “जब रोम जल रहा था, नीरो बंशी बजा रहा था”.
“जब रोम जल रहा था, नीरो बंशी बजा रहा था”: छात्रों की जान जोखिम में, वीसी विदेश में “जब रोम जल रहा था, नीरो बंशी बजा रहा था”: छात्रों की जान जोखिम में, वीसी विदेश में Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 11, 2016 Rating: 5

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