न्यायालय के फैसले के बावजूद नहीं हुआ वेतन भुगतान: जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे प्रो० लतीफ

लगातार दो दशक तक राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय का नाम राष्ट्रीय तथा प्रदेश स्तर पर चमकाने वाले प्रो० अब्दुल लतीफ आज पैसे के अभाव में समुचित इलाज नहीं करा पर रहे हैं और दिल्ली के एक निजी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं.
     जानकारी के अनुसार डा. अब्दूल लतीफ की नियुक्ति केबी झा महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में आचार्य के पद पर हुई थी. महाविद्यालय में वर्षों सेवा प्रदान करने के बाद उन्हे भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना का कार्यक्रम समन्वयक के पद पर नियुक्त किया गया. नियुक्ति के बाद उन्होंने अपनी सारी ताकत एनएसएस को सजाने और सवांरने में लगा दिया जिसका परिणाम हुआ कि आज मंडल विश्वविद्यालय के पांच दर्जन अंगीभूत और संबंधन प्राप्त महाविद्यालयों में राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई सुचारू रूप से संचालित की जा रही है. इतना ही नहीं एनएसएस इकाईयों के तहत रेड रिबन क्लब का भी संचालन किया जा रहा है. डा. लतीफ के इन प्रयासों का ही नतीजा है कि राष्ट्रीय सेवा योजना के दिल्ली तथा पटना कार्यालय के पदाधिकारी बीएन मंडल विश्वविद्यालय का नाम इज्जत के साथ लेते हैं. उनके मार्गदर्शन में एनएसएस के माध्यम से इस विश्वविद्यालय के दर्जनों स्वयंसेवक विदेश में जाकर मंडल विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है. किन्तु  आज प्रो० लतीफ विश्वविद्यालय प्रशासन की राजनीति और उपेक्षा के शिकार होकर वर्षों से वेतन से भी वंचित है.

क्या कहते हैं मो० रासिद: डा. लतीफ के पुत्र मो. रासिद का कहना है कि विश्वविद्यालय में सारा चीज ठीक चल रहा था और पापा को नियमित रूप से वेतन का भुगतान भी किया जा रहा था. तत्कालीन कुलपति कमर हसन के समय में राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से विश्वविद्यालय को काफी ख्याति मिली. इसके बाद कुलपति के स्थानान्तरण होने के बाद विश्वविद्यालय के कतिपय पदाधिकारी को इनकी सफलता रास नहीं आयी और पापा उनके आंखों मे चुभने लगे. इसके बाद साजिस के तहत इनका वेतन बंद कर दिया गया. उच्च न्यायालय में मामला दर्ज होने के बाद न्यायालय ने वेतन भुगतान का आदेश दिया किंतु बावजूद इसके वेतन भुगतान नहीं किया गया. यही कारण है कि आज पैसा के अभाव में उनका इलाज समुचित तरीके से नहीं हो पा रहा है.

क्या कह रहे हैं पदाधिकारी
: प्रो० लतीफ के वेतन भुगतान नहीं होने का कारण जब पदाधिकारियों से पूछा गया तो पहले तो उन्होंने बताया कि मामला न्यायालय में लंबित है किन्तु बाद में आगे कुछ कहने से इनकार कर दिया.
(रिपोर्ट: मंजू कुमारी)
न्यायालय के फैसले के बावजूद नहीं हुआ वेतन भुगतान: जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे प्रो० लतीफ न्यायालय के फैसले के बावजूद नहीं हुआ वेतन भुगतान: जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे प्रो० लतीफ Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 23, 2016 Rating: 5

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