ताकि दुनियां देखे कि बन्दूक और लाठी पर कलम है भारी: दर्द को भुला कर महज 48 घंटे में काम पर लौटे पुलिस की पिटाई के शिकार पत्रकार डिक्शन राज

कहते हैं पत्रकारिता उस जूनून का नाम है जिसमें दूसरों के दर्द की खबर देने के लिये खुद का पी जाना होता है. कलम में यदि ताकत हो तो वह नि:संदेह बन्दूक और लाठी पर भारी है.
    मधेपुरा जिले के गम्हरिया में न्यूज कवरेज के दौरान मंगलवार को पुलिस की बर्बरता का शिकार पत्रकार डिक्शन राज ने महज 48 घंटे के अन्दर आज फिर से कैमरा उठाकर दिखा दिया कि अभी भी पत्रकारिता लाठी-गोली से डरने का नाम नहीं है.
    लाठियों से छलनी दर्द से कराहते डिक्शन आज जब कैमरा लेकर गम्हरिया में रिपोर्टिंग करने सड़कों पर निकले तो लोगों का हैरत में पड़ना स्वाभाविक था. बता दें कि महज चंद  साल पहले पत्रकारिता प्रारंभ करने वाले डिक्शन राज प्रभात खबर और मधेपुरा टाइम्स के लिए रिपोर्टिंग करते आ रहे हैं. घटना से महज एक दिन पहले गम्हरिया में फटे और जले बैलट पेपर और मंत्री पर लगे आरोप की मधेपुरा टाइम्स और प्रभात खबर पर लगी उनकी खबर उनकी निर्भीकता का उदहारण है. ईमानदार और बेख़ौफ़ पत्रकारिता का पर्याय बने डिक्शन की कई रिपोर्ट पर कार्यवाही हो चुकी है. गत लोकसभा चुनाव के दौरान गम्हरिया में डिक्शन राज की मधेपुरा टाइम्स पर छपी रिपोर्ट पर ही देर से हेलिकॉप्टर उतारने और सभा करने के मामले में शरद यादव तथा अन्य पर तत्कालीन प्रशासन के न चाहते हुए भी आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज हुआ था.
    आज पुलिस के जुल्म का शिकार होने के बाद भले ही आरोपी थानाध्यक्ष को निलंबित कर बाकी पर एसपी ने कार्रवाई की हो और इस पत्रकार के घर मधेपुरा सांसद पप्पू यादव, राघोपुर विधायक बबलू सिंह समेत राज्य भर के पत्रकारों का जमावड़ा लगा हो पर इस बीच डिक्शन के आज रिपोर्टिंग के लिए निकल जाने ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि कलम में अभी बहुत जान बाकी है मेरी जान...!
(वि.सं.)
ताकि दुनियां देखे कि बन्दूक और लाठी पर कलम है भारी: दर्द को भुला कर महज 48 घंटे में काम पर लौटे पुलिस की पिटाई के शिकार पत्रकार डिक्शन राज ताकि दुनियां देखे कि बन्दूक और लाठी पर कलम है भारी: दर्द को भुला कर महज 48 घंटे में काम पर लौटे पुलिस की पिटाई के शिकार पत्रकार डिक्शन राज Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 09, 2016 Rating: 5

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