दारोगा जी, थोड़ा ताव तो कम कीजिए...

ये बिहार पुलिस के दारोगा हैं. बड़े पदाधिकारी इन्हें लाख समझाएं कि जनता के साथ ‘फ्रेंडली’ होना है, पर इनमें से सारे समझ जाएँ ऐसा फिलहाल संभव नहीं लगता है. आम जनता के साथ फ्रेंडली होना तो छोड़िये, इनकी कार्यशैली यदि किसी पत्रकार ने कैमरे में कैद कर लिया तो ये पत्रकारों पर भी आग-बबूला हो जाते हैं.
    आज मधेपुरा जिले के ग्वालपाड़ा थानाक्षेत्र के अरार ओपी के इलाके में सुबोध यादव नाम के दारोगा जी ने एक मोटरसायकिल पर सवार तीन युवकों को रूकवाया और शायद कोई कमी देखकर तीनों युवकों को सार्वजनिक स्थान पर एक दूसरे का कान पकड़वा कर उठक-बैठक करवाने लगे. मधेपुरा टाइम्स समेत दो-तीन अन्य अखबारों से जुड़े पत्रकार की नजर इस घटना पर पड़ी तो कैमरा चमकना लाजिमी ही था.
    बस क्या था, दारोगा जी, कैमरे की तरफ लपके और जुबान असंयमित हो गई. फोटो डिलीट करने के लिए धमकाना शुरू किया. पत्रकारों ने परिचय देते हुए जब कहा कि आप अपना काम करें, हम अपना काम कर रहे हैं, तो थोड़ा हिचके. पर जैसे ही पत्रकारों ने दारोगा के सामने ही पुलिस अधीक्षक को फोन लगाकर शिकायत करने लगे, दारोगा जी सरक लिए.
    जाहिर है, पुलिस को अपनी इस मनोवृत्ति को बदलनी होगी. यदि उन्हें लगता है कि उन्हें किसी युवक या आम आदमी को चालान नहीं काटकर सार्वजनिक स्थल पर बेइज्जत करने का अधिकार है, तो फिर कैमरे के चमकने पर गुस्सा करना ठीक नहीं. और यदि किसी को इस तरह का दंड देना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है तो फिर ऐसे काम से परहेज रखकर उन्हें जनता के साथ ‘फ्रेंडली’ होने का प्रयास करना चाहिए. वैसे पत्रकारों से पुलिस की बाताबाती के बाद छूटे युवकों का कहना था कि उनसे पैसे मांगे जा रहे थे, ना-नुकूर करने पर कान पकडवा कर उठक-बैठक शुरू करवा दिया.
(नि.सं.)
दारोगा जी, थोड़ा ताव तो कम कीजिए... दारोगा जी, थोड़ा ताव तो कम कीजिए... Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 26, 2016 Rating: 5

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