फर्जी आईडी और फोटो पर बाजार में उपलब्ध सिम बजा रही है खतरे की घंटी (भाग-1)

जहाँ देश में आतंकवाद की घटना बढ रही है और NIA व इंटेलिजेस विभाग देश की सुरक्षा के लिये एड़ी-चोटी का जोड लगा कर अपराधियो और आतंकवादियों की तलाश करती है वहीँ चंद लोग चंद पैसो के लिये जाने-अंजाने में ऐसे लोगों को संसाधन मुहैया करा रही है, जो खतरनाक साबित हो सकते हैं और रहे हैं. मामला मधेपुरा जिले समेत अन्य जगहों पर मोबाइल में प्रयोग किये जाने वाले SIM (Subscriber Identity Module) का आसानी और बिना पुख्ता जांच किये बिना उपलब्ध होने का है जो आतंकवादी और और अपराधी के हाथों दर्जनों की संख्यां में आसानी से पहुँच रहे हैं. लेकिन टेलीकॉम कम्पनियाँ भी इससे शायद बे-खबर हो रह कर खुले आम गाजर-मूली की तरह लोगों को सिम परोस रहे हैं.

कितना आसान है फर्जी उपभोक्ता के द्वारा सिम लेना?: छोटे कई सिम विक्रेता बिना किसी जांच पड़ताल के सिम बेच रहे है. नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि सिंहेश्वर प्रखंड में लगे एक टेलीकॉम  कंपनी के स्टाल से उसने मात्र 30 रुपये मे दो सिम ऑफर के तहत खरीदे. सिम के लिये उसे दो पहचान पत्र और फोटो लाने को कहा गया. शाम होने के कारण उसे  1 धंटा के अंदर दोनो सामान लाने का अवसर दिया गया और कहा गया कि जल्दी आइये अन्यथा कल सिम नही मिलेगा, हमको कोटा पूरा करना है. वह कहीं से मिले दूसरे व्यक्ति का पहचान पत्र और दो फोटो लेकर सिम लेने पहुंचा. काफी देर होने के कारण दुकानदार जा रहा था. यहा का स्टाक खत्म होने की बात कह कर पैसा, फोटो और पहचान पत्र लेकर सिम कल देने का वादा कर वह चला गया. दो दिन बाद ही उसी दुकान पर सिम उपलब्ध करवा दिया गया और यह जानते हुए भी कि सिम लेने वाले व्यक्ति का न तो पहचानपत्र और न ही फोटो भी सिम लेने वाले या पहचानपत्र वाले व्यक्ति का. ताकीद की गई कि वेरिफिकेशन कॉल पर पहचान पत्र वाला नाम ही बताना. हुआ भी वही और उक्त सिम चालू कर दिया गया.
        देखा जाय तो इस सिम से किसी तरह की अपराधिक धटना या गतिविधि को अंजाम दिया जायेगा तो उसका अंजाम शुरू में उस लड़के को भुगतना पड़ सकता है जिसे पता भी नही है कि मेरे नाम का सिम उठ चुका है.  चंद पैसो के लिये इस तरह का खेल सरेआम चल रहा है. कंपनी के अधिकारी अपने कमिशन और प्रोमोशन के लिये खुले आम देश और राज्य की सुरक्षा से खिलवाड करते हैं. हैरत की बात तो यह है कि वेरिफिकेशन करते वक्त भी कम्पनियाँ जमा किए फोटो और नकली पहचानपत्र पर मौजूद फोटो तक को नहीं मिला रही है और न ही सरकारी एजेंसी से ऐसी जाँच में कोई मदद ले रही है. जबकि सिम बेचने वाले आउटलेट पर भी उसी वक्त सिम पहचानपत्र वाले व्यक्ति को ही हस्ताक्षर करवा कर देना है.
    मधेपुरा जिले में भी दूसरे के नाम और आईडी का प्रयोग कर हासिल किये सिम से रंगदारी मांगने तक की बड़ी घटना हो चुकी है, जो कभी सूबे में चर्चित हुआ था. सूत्र बताते है कि सही उपभोक्ता भी अपने नाम के फर्जी सिम बाजार मे हाने की आशंका से ग्रस्त है. किसी भी टेलिकाम कंपनी के आउट लेट पर इस तरह के सीम मिलने से अपराधियों का मनोबल बढा है. अपराधी बाजार में  कुकुरमुत्ते की तरह उग आये दुकानो से सिम लेकर अपराधिक घटना को अंजाम देते है और सिम को तोड कर फेक देते है.  निश्चित तौर पर ऐसे में प्रशासन को अधिक सजग होने की आवश्यकता है. (क्रमश:)
फर्जी आईडी और फोटो पर बाजार में उपलब्ध सिम बजा रही है खतरे की घंटी (भाग-1) फर्जी आईडी और फोटो पर बाजार में उपलब्ध सिम बजा रही है खतरे की घंटी (भाग-1) Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on February 06, 2016 Rating: 5

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