'बीएनएमयू में फनीश्वरनाथ रेणु शोधपीठ की स्थापना अपरिहार्य'

फनीश्वरनाथ रेणु कोसी की माटी के लेखक हैं. उनकी रचनाओं में कोसी प्रतिबिंबित होता है. उनके अवदान से कोसी की युवा पीढ़ी अवगत हो, इसलिए मंडल विश्वविद्यालय में रेणु शोधपीठ की स्थापना अपरिहार्य है.
    छात्र संगठन एनएसयूआई द्वारा महान रचनाकार 'फणीश्वर नाथ रेणु शोधपीठ' की स्थापना पर आयोजित विमर्श कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मंडल विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डॉ० जे. पी. एन. झा ने उक्त बातें कहीं.
     विमर्श गोष्ठी में मधेपुरा के साहित्यकार डॉ० सिद्धेश्वर काश्यप ने रेणु को साहित्य के क्षेत्र में नवीन मूल्य क्रान्ति करने वाला लेखक बताया. उन्होंने कहा कि फनीश्वरनाथ रेणु की महान कृति 'परती परिकथा' और 'मैला आँचल' के लेखक के लिए यहाँ रेणु शोधपीठ की स्थापना अपेक्षित है. विचार गोष्ठी में डॉ० आर० के० पी० रमण, डॉ० एस. के. ओझा, डॉ० भूपेन्द्र मधेपुरी आदि ने भी अपने विचार रखें और शोधपीठ की आवश्यकता जताई.
    एनएसयूआई के सुदीप कुमार ने रेणु शोधपीठ की स्थापना तक आन्दोलन चलाने के अभियान का संकल्प व्यक्त किया. एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रतिनिधि प्रभात कुमार मिस्टर ने कहा कि फणीश्वर नाथ रेणु हिन्दी साहित्य में आंचलिकता को प्रतिष्ठित करने वाले क्रांतिकारी लेखक है. उनके नाम पर हम शोधपीठ की स्थापना के लिए कृत संकल्प हैं. वहीं एनएसयूआई के प्रदेश महासचिव मनीष कुमार ने रेणु को हमारी साहित्यिक धरोहर बताते हुए शोधपीठ की स्थापना की मांग की.
    विचार गोष्ठी में डॉ० ललितेश मिश्र, डॉ० जे० एन० राय, डॉ० शिव बालक प्रसाद, डॉ० विद्यानंद मिश्र, डॉ० नरेंद्र प्रसाद, डॉ० विश्वनाथ विवेका, प्रो० शैलेन्द्र यादव, डॉ० नरेंद्र श्रीवास्तव समेत काफी संख्यां में लोग मौजूद थे और अंत में पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ऐपीजे अब्दुल कलम को श्रद्धांजलि भी दी गई.
'बीएनएमयू में फनीश्वरनाथ रेणु शोधपीठ की स्थापना अपरिहार्य'  'बीएनएमयू में फनीश्वरनाथ रेणु शोधपीठ की स्थापना अपरिहार्य' Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 29, 2015 Rating: 5

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